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________________ भली भावना प्रेम विवेक, पेली पुजारा पनरसो एक। प्रभु पुजतां पाप पळाय, मीले रिधी ने सुखी सदाय ।। सागरमल फोजाजी सायले सुभागी, फूले पूजीने पाम्या आबादी। मोगरो केतकी जाई जुई गुलाब, भावे चडावे धन धन भाग ।। वीधवीध फूले प्रभुने पूजे, टूटे भवबंधन कर्मो सौ ध्रुजे। ____ एक हजार एकज दीन, शुभ कामए हस्तेथी कीन ।। पना छोगालाल कपुरचंद, भवोभवनां दूरे दुःखफंद। तोळचंद सोनमल भेराजी सोहे, बरास पूजा कर मनडु मोहे ।। आठसो एक आप्या छे पुरा, दूष्ट कर्मोरा कीना हे चुरा। __भंडारी बदाजी हांसाजी सोहावे, अजब रसीली आंगी रचावे ।। पुन वंता रेवे सायले जगीस, देवे रुपैया पांचसो पचीस। होवे विमल पेली पूजा करतां, विमलनाथजी हेते पूजतां ।। छसो एकावन आपी जश लीन, धन्य घडी पळ धन्य छे दीन । विमलनाथरी प्रतीमा लाई श्रीसंघको भेट दीलाई ।। देवी चंदने रीखवदास, प्रभुपुरजो मनडानी आश । मुनिलाल के पुत्र कहावे, भाव अधीक भावना भावे ।। कोठारी गोडीदास गुन जान, बाबुलाल कूळ दीपक सुजान। वनेंगजीरो वंश दीपायो, धन्य जनुनी कुख शोभायो ।। चंद्रप्रभुरी शीतल छाया, पेली पूजा कर दिल हरखाया। आप्या रुपैया छसोएकावन, थाशे आबादी प्रभु प्रसन्न ।। रुषभदेवनी प्रतीमा पुराणी, पूजो भवीजन आत्मगुण खाणी। मोक्ष मेळववा तरवा उपाय, भवोभव चकर सर्व मीट जाय ।। सोनमल गेबचंद रगनाथमल, जशाजी केरो भूप सम दील । सरतवाला भंडारी उदार, उमा पनाजी उमंग अपार ।। रुषभदेवरी पुजारा भाव, छसोएकमां लेरायो लाव। . शा ताराचंद पीरचंद प्रतापी जाणुंकेरींगजीरा कुल दिपक प्रमाणुं । पुजा करवारो भाव भलेरो, तिहां आनंद पायो अनेरो। धर्मनाथजी प्रतापे लेर, छसोपचीस आप्या भली पेर ।। भोळा सागरमल कुंदनमल, प्रसरी कीरती जुगमां जलहल । गजाजीकेरा शोभे सतवादी, दुःख दूर ने नित आबादी ।। पांचसोएकावन देवे निरधार, हुंश हैयडामां धरी अपार । अरनाथ प्रभु अरी दूर करसे, मन कामना पुरण फलसे ।।
SR No.022169
Book TitleSamyaktva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay, Premlata N Surana
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages382
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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