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________________ 11 80 11 पुरे सेदी1- धणपवरा नाम जारिया तस्स, धणसंचयानिहाणा-जाया कुची ती अहं. ॥ २९३ अदृष्ह मुवरि पुत्ता-पत्तजोव्वणनराइ नो को वि, रुच्च वरो तय - जक्खस्साराहणं विहियं ॥ २०४ ॥ तेणय महनत्तिपरव्वसेण पम्मक्खए दोविच्छे जह तुह नविस्सई चक्कवहिपई ॥ २०९ ॥ नामे बजदत्तो - मए कहं सो वियायिव्वोत्ति, जलिय मणेण पयट्टे – कुक्कुरुजुज्जमि जो दिदो. - ॥ २०६ ॥ बुद्धिल सायरदत्ताण संतिए माणसंमि तुह र मिही, सो बंजदत्तनामा --— तह कुक्कुरुजुज्जकालाओ. ॥ २०७ ॥ जं किंचि तुज्झ वित्तं - वरधगुणा संगयस्स तं कहियं, तह हारपेसलाइवि - किच्यं विहियं मए तुम्ह. ॥ - ― नयी हुं जन्मी बु. ५०३ हुं पुत्रोना पछी जन्मी, छपने यौवन पामतां मने कोइ वर पसंद पड्यो नहि. तेयी नामाटे मे यज्ञनी आराधना करवा मांगी. १०३ - २०४ मा नक्तिथी खेचाइने यह प्रत्यक्ष थर कहेवा लाग्यो के हे पुत्रि, तारो चक्रवतीं पति थशे. २०५ तेनुं ब्रह्मदत्त नाम बे मे पूछयुं के हुं तेने केम ओळखीश ? यक्ष बोल्यो के बुद्धिल ने सागरदत्तना कमाना युद्धमां जे तारा मनमां खूची रहेशे ते तारे ब्रह्मदत्त जाणवा, तेमज कूकमाना युद्ध पछी वरधनुसाये रहेता तमारो जे वृत्तांत बे ते कही संजळाव्याने कां तमोने हार पण मैज मोकलान्यो हतो २०६ - २०७ - २८ रीते वृत्तांत सांजळी कुमार विचारखा लाग्यो के मारा वचामाटे एणी तत्पर लागेने, नहितो हथियारसायेनो रथ मने कां लावी आपे ? एम चिंतनी तेणीउपर पूरो श्री उपदेशपद.
SR No.022167
Book TitleUpdeshpad Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherLalan Niketan Madhada
Publication Year1925
Total Pages420
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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