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________________ || gu || मग -- बहुं तो निगो, जन||७|| निसु जापवाओ - मए जहा दीहराइणा मया, सव्वेयि बंजदत्तस्स - गहणहेनुं निरुद्ध त्ति ॥ ८०॥ ताना सिजह दूरेण मग्ग चागं करितु गच्छामो, जाया महामवीए - पनिया तिसि बहुं कुमरो ॥ ८१ ॥ रामदिदा व एसो गयो स सलिलत्या, जायं दिपावसाणं- न लद्ध मुदगं परं एसो - ॥ ८२ ॥ दिदो दीनडेहिं - दढं च हम्मत सरोसेहिं, पत्तो कुमरासन्ने - कवि विरलदुमंतरि ॥ ८३ ॥ कय संकेओ विदियो - ते कुमारोपायसु सुदूरं तत्तोस तिव्ववेगो - पलायमाणो दुरुत्तारं ॥ ८४॥ कतारं कायर - लोय सोय संपायगंग जत्थ, हरिणारिणो वियंतंति जीमरवन रियगिरि कुहरा. ॥ ८ए ॥ रविपाया जत्थ न ओयरंति तरुवह पल्लवंतरिया, मन्ने नवनवनर्दतदनसूई माटे लांबे त्यांयी ऊट वाछो आवी बोल्यो के हुं लोक प्रवाद सांजळी आव्यो बुं के ब्रह्मदत्तने पकवान दीर्घ राजा सघळा रस्ता रोकेला छे ८ माटे आपणे रस्तो मेलीने दूर नाशिये एम कही तेत्रो एक मोटी वटीनां यात्री चड्या. त्यां कुमार बाहु तरसेझो ययो. ८१ त्यारे वरधनुए तेने वमहेत्रे पो राख्यो अने पोते पाणि नरवा गयो दिवसमा व्याथी पाणी नळयुं नहि- - पण उलटो ते दीर्घराजाना माणसोनी नजरे चड्यो एटले तेमले गुस्से थइ तेने खूब मार्यो. छतां जेम तेम ते कुमारनी नजीक यावी कामना प्रोथे पूर्व कहेलो संकेत करवा लाग्यो के कुमार तुं दूर जा, एटले कुमार तीव्र वेगयी ते दुरुत्तार अटवी मां नाशवा लाग्यो. ८२ – ८३-८४ ते नाशतो यको कायरलोकन शोकमां नाखनार कांतारमां श्वान थयो के ज्यां जयंकर अवाजथी पर्वतनी गुफाओने र नाता सिंहो गाजी रहे बेवळ ज्यां कामोना पांददायी सूर्यना किरणो पण अटकी रहे डे, अने जाणे नवी नवी जगती दर्जनी श्री उपदेशपद.
SR No.022167
Book TitleUpdeshpad Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherLalan Niketan Madhada
Publication Year1925
Total Pages420
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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