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________________ ॥२४॥ मुज्कं तुज्य मरणाय होहिही जण श्य दीहो ॥३॥ तो मारिजन एसो---केणावि अनक्खिए णुवाएण, मइ साहीणे नहे-अन्ने होहिंति तुह पुत्ता ॥ ४ ॥ रइराग परवसाए-शह परत्नवकजवंज्कचित्ताए, पमिवन्नं चुनणीए--धिरत्थु इत्थीण चरियाई ॥ ४५ ॥ जं सबसक्खणधरे-वायएणुकरितनिजियकुसुमसरे, सव्वा विणयविरहिए-- निय पुत्ते ववसिया एवं ॥४६॥ वरिया य तेहिंतत्तो-तस्स कए नूमिपहुसुया एगा, पनणीक्यं च करव--विवाहपाजग मुवगरणं ॥४७॥ नसयन्निविटूर---अगूढपवेसनिग्गमवारं, कारावियं जजहरं-- वासनिमित्तं कुमारस्स ॥ 4 ॥ जाओ एस वश्यरोधणुणा तो रजकजकुसोण, नणियो य दोहराया--एप्स सुओ वरधणू मज्क पक्षा संपत्तजोव्वणजरो---निव्वाहसहो य रज्जकज्जाण, वणगमणावसरो मे----अणुमएणसु जामि जं तत्थ ॥५०॥ तो कश्णवण नणियो-दोहेण अमच्च एय नयररित्रो, पाम्यो बे, माटे मारा अने तारा मरण माटे ए थशे. माटे कोइ छाना उपाययी एने मारी नाखवो जोइए, अने हा तारे आध'न बु एटले वीजा घणा पुत्रो तारे थशे. ४३-१४ त्यारे रतिशगना परवंशपणाथी आ जव अने परजवना काम विचारवामां इन्य चित्त बनेन। चुलाणीए ते वात कबृन राखी, माटे स्त्रीना चरित्रने धिक्कार थाओ. ४५ केमके सब बक्षण संपूर्ण, लावायगुण थी कामदेवने जीत्नार ने अविनयथी तदन रहित एवा पोताना आ पुत्रम पण तेणी श्रा रीते वर्त्तवा लागी !!! ४६ वड़ तेम्णे कुमारना माटे एक र.जानी पुत्री दरी ने विशह माटे तैयारी करवा मांझी. H७ तेमणे वुमारने रहेवा माटे सो पांचला पर गांउबखें नै देसवा तथा नीवळवाना अतिगूढ कारवाळु बाखनुं घर बंधाव्यु. ४ श्राव्यतिकरण नी धनुमंत्री ने खवर एमी एटले ते राजकाजमां कुशळ होवाथी दीर्घराजा पासे जइ कहेवा लाग्यो के, आ मारो वरधनु पुत्र छे. ते यौवनवय पाम्यो छे, अने राजकाज चलावी शके तेम छे. माटे मारो हवे वनमा जवानो वखत डे, तेथी जो रजा आपो तो हुं त्यां जालं. ४ --५० यारे दीईराजा काट्या बोटयो के, हे अमात्य : तुं श्री उपदेशपर. .
SR No.022167
Book TitleUpdeshpad Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherLalan Niketan Madhada
Publication Year1925
Total Pages420
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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