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________________ ॥१७॥ विय नासियो जहा ताय, पेक्खसु नरपुरिसो एस जाइ सहसुटिओ कोइ. ॥ १२ ॥ जाव स निदामोक्खं काकणं लोयणेहिं जोएइ, ताव न दिठो, पुट्ठो य-वला, सो कत्थ परपुरिसो? ॥ १३ ॥ भणिओ तेण श्मेणं-दिसाविनागेण तुरियतुरियं सोगवंतो मे दिछो-मा ममसु अमहा ताय. ॥ १४ ॥ परिकलिय नहसीलं-महिवं सिढिवा यरो तो तीए-नरहो सन्नावपयंपणारहिओ तो जाओ. ॥ १५ ॥ पळायावपरिगया—सा नासइ कुणसु वढ मा एवं, सो नण न मम लठं-वट्टसि, सा बेश् वहिस्सं.-॥ १६ ॥ तह कुणसु जहाएसो-तुह जणो मज्ज आयरं कुणइ, पमिवन्न मिमं रोहेण–सावि तह वहिन बग्गा. ॥ १७ ॥ तहचेव रयणिमज्जेकयावि सुत्तुष्ठिो नण जणगं, सो एस एस पुरिसो–कहिंति पुठो य पि नणावि. ॥ १० ॥ तो निययं चिय गयं-दंसित्ता नण पेबह श्मं ति, स विक्षरी आंखोयी जोवा माग्यो के कोइ देखायो नहि' त्यारे तेणे पूछयु के दीकरा, ते परायो माणस क्यां ने ? १३ रोहाए कडं के आ दिशा तरफ ते ऊतावळो थइने जतो में जोयो. हे पिता ए वात खोटी जाणोमा. त्यारे नरत पोतानी नवी स्त्री बगमेती धारीने तेनापर प्रीत ओठी करीने तेनी साथे खरेखरी वातचीतो नहि करतां वेगलो रहेवा लाग्यो १४ -१५ आयी ते ओरमां पश्चात्ताप करी रोहने कहेवा लागी के दीकरा आई म कर. ते बोल्यो के तुं मारी साथे सीधी 2 वर्तती नथी ते बोलीके हवेथी सीधी वतीश, पण एवं कर के जेथीए तारो बाप मारो आदर करे रोहाए तेम करवा कबूट्युब 2 अने ते पण तेना साथे सीधी वर्त्तवा लागी. १६–१७ बाद एक वखते मधराते तेज रीते सूतो ऊठीने ते बापने कहेवा । र लाग्यो बे आ रह्यो पुरुष. बापे पूछयु के ते क्यों डे ? १७ त्यारे तेणे पोतानीज गया बतावी कयुं के आ जुवोने. आयी श्री उपदेशपद.
SR No.022167
Book TitleUpdeshpad Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherLalan Niketan Madhada
Publication Year1925
Total Pages420
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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