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________________ ॥१४॥ यद् विकिरणं देवेन कृतं, तदेव दृष्टांतस्तस्माद् पुर्वन्नं मनुजत्वमिति गम्यते किमुक्तं नवतीति ? आह-तग्घटणवाणुचयत्ति-तस्य पिष्टस्तं नस्य ·घटना श्व निर्वर्तनावत् अणुचयात् तस्मादेव नलिकाप्रदिप्तपिमात् सकाशात्-मनुजत्वं नवसमुझे उर्लन्न मिति.. हवे संग्रहगाथानो अकराय कहे छे. परमाणु शब्दयी धार सन्नार्यो छे. काष्ट वगेरेना स्तननो कोइ कौतुकी देवे चूरो कर्यो. पनी ते चूराने नळि कामां नाखी मेरुना मथाळापर दशे दिशाओमां ते देवे नमामयु. ते दृष्टांते मनुष्यपणु पुर्झन छे एटचं उपरथी बइ से. शी वात थइ ते कहे छे के ते नलिकामां नाखेला परमाणुओ वमेज ते चूरेस्रो स्तन तैयार थाय ते माफक आ जवसमुद्रमां मनुष्यपणु पुर्खन छे. . - अयमपि परमाणुदृष्टांत आवश्यकचूर्णावन्यथापि व्याख्यातो दृश्यते यथाइह काइ सहा महई-अणेगखनसयसंनिवेसिल्वा, कालेण जलणजामाकरानिया पाविया पायं १ किंसो दोज कयाइवि-इंदो चंदो हवा मणुस्सिदो, जो तं तेहि अणूहिं-पुणोवि अग्ध घमिही.॥२॥ जह तेहिंचिय अणुएहि-सा सत्ना मुक्करा श्ह घमेलं, तह जीवाणं विहमिय-मित्तो मणुयत्तणं जाण. ॥ ३ ॥ इति. आ परमाणुनो दृष्टांत आवश्यकचूर्णिमां बोजी रोते पण वर्णवेबो देखाय डे, जेमकेः हां कोइएक सेंकमो थानलाथी बांधेली महोटी सना हती, ते एक वखते आगना सपाटामां आव्याथी नाश पामी. १ हवे एवो कोइ इंद्र, चंद्र, के राजेंद्र छे के जे तेज परमाणुओ व ते अति उर्घट [नहिज बनी शके तेवी] सजान फररीने ऊनी करी शके? 9 जेम तेज परमाणोथी ए सजा फरीने तैयार करवी मुष्कर छे, तेम जीवोने म लेख मनुष्यजन्म जतं रह्यं ते फरीने मळवं पुर्खन ने एम तमारे जाणवं. श्री उपदेशपद. 2
SR No.022167
Book TitleUpdeshpad Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherLalan Niketan Madhada
Publication Year1925
Total Pages420
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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