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प्रकृति-सौम्य गुण पर
कि " सर्व सुखों का मूल क्षमा है, सर्व दुःखों का मूल क्रोध है। सर्व गुणों का मूल विनय है और सर्व अनर्थों का मूल मान है। ___“समस्त स्त्रियों में तीथंकर की माता उत्तम मानी जाती है। समस्त मणियों में चिन्तामणि उत्तम मानी जाती है। समस्त लताओं में कल्पलता उत्तम मानी जाती है, वैसे ही समस्त धर्मों में क्षमा ही एक उत्तम धर्म है।" यहां एकमात्र क्षमा का प्रतिपादन कर परीषह तथा कषायों को जीत कर अनन्तों जीव अनन्त सुखमय परमपद को प्राप्त हुए हैं।
कुमार तत्त्वबुद्धि से उक्त वचन को अमृत की वृष्टि समान मानने लगा और अनुक्रम से पढ़कर विद्वान हो मनोहर यौवनावस्था को प्राप्त हुआ। उसका उसके माता पिता ने वसन्तपुर में सागर श्रेष्ठो को गोश्री नामक कन्या के साथ विवाह किया । उक्त पत्नी को वहीं छोड़कर (पितृगृह में) विजयकुमार अपने शहर में आया। ___अब किसी समय श्वसुर गृह से अपनी स्त्री को लेकर अपने गृह को ओर आ रहा था ज्योंहीं वह आधे मार्ग में पहुचा था कि गोश्री को अपने पितृह में रहने को उत्कंठा होने से वह उसे कहने लगीहे नाथ ! मुझे दुष्ट तृषा पिशाचिनी पीड़ित कर रही है। तब वह कुमार शीघ्र पीछे २ चलती उक्त स्त्री के साथ कुऐ के समीप आया ज्योंही कुमार कुए में से पानी निकालने लगा त्योंही उसको (कुए में) धक्का देकर गोश्री अपने पितृगृह को लौट आई और कहने लगी कि-अपशकुन होने के कारण वे मुझे नहीं ले गये। ___कुए में पड़ा हुआ कुमार उसमें ऊगे हुए वृक्ष को पकड़कर बाहर निकला और सौम्य स्वभाव होने से विचार करने लगा कि उसने मुझे किस लिये कुए में गिराया होगा ? हां समझा, पियर जाने के