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रोहिणी की कथा
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भान न रहा । तब रागकेशरी बोला कि-हे तात ! आप इतनी चिन्ता क्यों करते हो ? क्योंकि मैं तो आपका सारे विश्व में कुछ भी सम विषम होता नहीं देख सकता । तब मोहराजा ने उसको रोहिणो का यथास्थित वृत्तान्त कह सुनाया । जिसे सुन वह सिर में वनाहत हुआ हो उस भांति उदास हो गया ।
तब मोह राजा का समस्त सैन्य भी फूल, तांबूल तथा नृत्य गोतादिक कार्य छोड़कर बिना प्रस्ताव ही उदासीन हो गया । इतने में एक बालक तथा एक स्त्री अट्टहास से हंसने लगे, जिसे मोह राजा ने सुना । तब अतिशय क्रोध से दीर्घ निश्वास छोड़कर वह सोचने लगा कि- मेरे दुःखो होते हुए कौन इस प्रकार सुखो रहकर आनन्द उड़ाता है । तब दुष्ठाभिसंधि नामक मंत्री अपने कुपित स्वामी का अभिप्राय जानकर सावधान हो इस प्रकार विनंती करने लगा।
हे देव ! राज कथा-स्त्री कथा-देश कथा और भोजन कथा रूप चार मुखवाली और योगिनी के समान जगत् के लोगों को मोहित करने वाली यह विकया नामक मेरो स्त्री है । इसी भांति यह बालक मेरा अत्यन्त प्रिय प्रमाद नामक पुत्र है । अब ये अकारण क्यों हंसे सो आप ही इनसे पूछिए । तब चिल्लाकर मोह राजा ने उनको पूछा कि- तुम क्यों हंसे ? तब वह स्त्री बोलने लगी कि-हे पूज्य ! आप भली प्रकार सुनिये।
बालक से भी हो सके ऐसे कार्य में आप इतनी चिन्ता क्यों करते हो ? इसीसे विस्मित होकर मैं व मेरा पुत्र हंसे हैं। आपको कृपा हो तो इस रोहिणी को आधे क्षण में धर्मभ्रष्ट करने को मैं समर्थ हूँ । मेरे सन्मुख यह बिचारी किस गिनती में है । जो उपशान्त कवायी और मनःपर्यवज्ञानी हुए हैं वैसे