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कैसा तत्त्वों का भण्डार भरा हुआ है, वह तो इसके साथ की उन पूज्य आचार्य देव श्री की ही प्रस्तावना से समझ में आ जावेगा । भव्य जीवों पर आपश्री का यह महान उपकार है ।
इस ग्रन्थ को प्रकाशित करने में पूज्य श्री के शिष्य पू० सुनिराज श्री पद्मसेनविजयजी महाराज ने प्रूफ जांचने आदि में अच्छा सहयोग दिया है। श्री बेंगलोर जैन श्वे० संघ ज्ञान खातु ं व श्री मद्रास जैन श्वे० संघ ज्ञान खातु इन दोनों से प्रारम्भिक सहायता मिली है । उन सब का हम आभार मानते हैं ।
कालूशीनी पोल अहमदाबाद वि० सं० २०३० श्रावण शुक्ला ७
निवेदक :
दिव्य दर्शन प्रकाशन - ( अहमदाबाद ) दिव्य दर्शन प्रकाशन - (जयपुर ) की तरफ से
भरतकुमार चतुरदास शाह