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________________ ( १५५ ) प्रदेश, आकाश-प्रदेश, जीवप्रदेश, पुद्गलस्कंध-प्रदेश, देशप्रदेश-इस तरह छ पदार्थों के प्रदेश हुए।' संग्रहनय : 'देश स्कंध में समा गया; अत: उसके प्रदेश भिन्न नहीं है, अन्य पांच के प्रदेश होते हैं।' । व्यवहारनय : 'पांच का कोई साधारण प्रदेश नहीं है, अतः पांव के प्रदेश नहीं कहे जा सकते, किन्तु पांच प्रकार के प्रदेश हैं, धर्म प्रदेश, अधर्म प्रदेश....आदि ।' ऋजुसूत्रनय । प्रत्येक पांच प्रकार के प्रदेश नहीं है। अत: ५ प्रकार के प्रदेश नहीं, पर कहो कि विकल्प है । स्याद् धर्मप्रदेश, स्याद् अधर्म प्रदेश ...' ___ शब्दनय : 'ऐसा कहने से भी प्रत्येश प्रदेश के स्याद् धर्म०, स्याद् अधर्म०....में ५-५ प्रकार की आपत्ति है। अतः ऐसा कहो कि जो धर्मास्तिकाय का प्रदेश है वह प्रदेश धर्मास्तिकाय... इस तरह पांच ।' सभिरुडनय : 'प्रदेश धर्म' ऐसा समास करने से धर्म में प्रदेश होने से भेद सप्तमो को शंका होती है, अतः असमास (बिना समास के) से कहो कि 'जो धर्मास्तिकाय है वही- उसका प्रदेश वह प्रदेश धर्मा० ... ।' एवंभूतनय : प्रदेश देश जैसी वस्तु ही नहीं है । क्योंकि यदि उसे भिन्न कहते हो, तो वह अनुपलब्ध है । यदि अभिन्न कहते हो तो धर्मास्तिकाय और प्रदेश एक पर्याय वाले होने की आपत्ति आती है ! अतः जो है, वह अखंड धर्मास्तिकाय आदि ही है। (iii) संख्या प्रमाण : नामादि ४ संख्या+ उपमा संख्या +परिमाण संख्या + ज्ञानरूप संख्या + गणनसंख्या-इस तरह से कुल ८ प्रकार हैं। इसमें भी द्रव्य संख्या आगम से तथा नो
SR No.022131
Book TitleDhyan Shatak
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherDivyadarshan Karyalay
Publication Year1974
Total Pages330
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size18 MB
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