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- शुद्ध
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कृत्य
परन्तु यों तो चिंतन हो तो भी
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अशुद्ध ऋत्य परन्तु हो तो....भी देने लगा उनके के लिए चूकते....किसे महाण्णं भाग विजया.... ध्यान चिंतन वह उतरे तक को यों चाहे प्रात उससे भी ज्यादा क्या है बाद को सजन हिसा उन्हें
उसके को ... चूकाता....क्या महण्णं भोग विषया.... ध्यान किन्तु वह उतर गए तक के
रौद्र उससे क्या बढे बाद के सृजन हिंसा उन्हें वह साहुकारी जावेगा भूमिका
साहूकारों
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जावेगी भूमि का
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