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सूर्य
६६ पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [गुजराती भाषामां माता होवाथी त्रण ओछी करतां अने वीरप्रभुनी देवानन्दा अने त्रिशला ए बे माता गणतां ६१ माता थइ. गृहस्थकालथी बलदेव लगण त्रीश स्थानकोवडे शोभायमान
आ चतुष्पदीमां पांचमो उल्लास पूर्ण थयो.
श्रीविंशतिविहरमाणजिन-चतुष्पदी । विहरमानजिन जनक | जननी लंछन सहचरी-स्त्री १ सीमंधर | श्रेयांस | सत्यकी
वृषभ रुक्मिणि २ युगमंधर | सुदृढ सुतारा गज प्रियंगुदेवी ३ बाहु सुग्रीव
विजया
हरिण मोहिनी ४ सुबाहु निसढ भूनन्दा किंपुरुषा ५ सुजात
देवसेन देवसेना
जयसेना ६ स्वयंप्रभ मित्रप्रभ सुमंगला चन्द्र वीरसेना ७ ऋषभानन | कीर्ति वीरसेना
जयावती ८ अनंतवीर्य | मेघ मंगलावती विजयावती ९ सूरप्रभ नागराज भद्रादेवी विमलादेवी १० विशाल विजय विजयावती सूर्य नन्दसेना ११ वज्रंधर | पद्मराज सरस्वती | वृषभ विजयवती |१२ चंद्रानन | वल्मीक पद्मावती वृषभ लीलावती १३ चन्द्रबाहु | देवानंद | रेणुकादेवी | कमल सुगंधादेवी १४ ईश्वर कुलसेन | यशोज्ज्वला | कमल भद्रावती १५ भुजंग | महाबल | महिमादेवी
| चन्द्र
गंधसेना १६ नेमिप्रभ वीरसिंह | सेनादेवी सूर्य मोहिनी १७ वीरसेन | भूमिपाल | भानुमती हस्ति रायसेना २८ महाभद्र | देवराज उमादेवी वृषभ सूरिकांता १९ देवयशा | सर्वभूति | गंगादेवी चन्द्र पद्मावती २० अजितवीय राजपाल | कनीनिका | सूर्य रत्नमाला
सिंह
गज