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आवश्यकीयोद्गार |
संसार में जिस प्रकार आदर्श आत्माओं के जीवनचरित्र लोकोपकारक, शान्तिप्रदायक और योग्यता बर्द्धक हैं। उसी प्रकार उनके वचनामृत, उनके उपदेश और उनकी सुरम्य कृतियाँ भी सत्य - वस्तुस्थिति की द्योतक, मानवीय गुणों की विकाशक, कषायभाव की उपशामक और अज्ञानतिमिर की नाशक समझना चाहिये । आज सारे भारतवर्ष में अहिंसाधर्म की जो घोषणा हो रही है वो सब पूवाचार्यों की सुमधुर कृतियों का ही फल हैं । समय समय पर लोगों के बुद्धिबल को देखकर उनके हितार्थ दूरदर्शी बहुश्रुताचार्योंने भिन्न भिन्न विषयों के अनेक गद्य-पद्यमय संस्कृत और भाषा में अनेक ग्रन्थ बनाये हैं और वर्त्तमानयुग में भी बनाये जा रहे हैं, जिनको मनन करने से लोगों को अगाध फायदा पहुंच रहा है ।
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( खंडविचार )