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सारांश ३ उल्लास] पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. २९
देव दानवेन्द्रो ए शिबिकाओने उपाडे छे अने जिनवरो तेओमां बेशी दीक्षा लेवा माटे उद्यानमां जाय छे. ६७ दीक्षापरिवार
वासुपूज्यस्वामीए ६००, मल्लिनाथप्रभुए ३००, पार्श्वनाथप्रभुए ३००, ऋषभदेवस्वामीए ४०००, अने शेष उगणीश प्रभुए एक एक १००० पुरुषोना परिवारथी तथा वीरप्रभुए एकाकी दीक्षा ग्रहण करेल छे. ६८ दीक्षानी नगरिओ--
नेमनाथप्रभुए द्वारवती (द्वारिका) मां अने शेष जिनवरोए पोत पोतानी जन्म नगरीओमां दीक्षा लीधेल छे.
६९-७३ व्रत समय, वृक्ष, ज्ञान, वन अने लोंच
सुमतिनाथ , श्रेयांसजिन, नेमिनाथ, मल्लिनाथ अने पार्श्वनाथ ए पांच प्रभुए पूर्वाह्न (बपोर पहेलां ) तथा शेष १९ प्रभुए पश्चिमाह्नमां (बपोर पछी) दीक्षा ग्रहण करेल छे. सर्वे जिनवरोनी अशोकवृक्षना हेठल दीक्षा थई छे अने दीक्षा लेतां वारज चोथो मनःपर्यवज्ञान उत्पन्न
१-त्रणसो पुरुष अने त्रणसो स्त्रियोना परिवारथी मल्लिनाथप्रभुए दीक्षा लीधी, ग्रन्थान्तरोमां एम पण कहेल छे. ते वाचनान्तर भेद समजवु.