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नाथनो ८०, वासुमनुषनो तनुमान
करतां
सारांश २ उल्लास] पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. २३ श्रेयांसनाथनो ८०, वासुपूज्यनो ७०, विमलनाथनो ६०, अने अनन्तनाथनो ५० धनुषनो तनुमान होय. त्यार बाद नेमिनाथ लगण पांच पांच धनुष ओछा करतां धर्मनाथनो ४५, शान्तिनाथनो ४०, कुन्थुनाथनो ३५, अरनाथनो ३०, मल्लिनाथनो २५, मुनिसुव्रतनो २०, नमिजिननो १५, अने नेमिनाथनो १० धनुषनो तनुमान होय. पार्श्वनाथनो ९ हाथ अने वीरप्रभुनो ७ हाथनो शरीरमान होय छे. आत्मांगुलना प्रमाणथी सर्व जिनवरोनो शरीरमान एकसो वीश (१२० ) अंगुलनो जाणवू. तेमां न्यूनाधिकपणुं होतो नथी. ५३ प्रमाणांगुलथी शरीरमान
उत्सेधांगुल प्रमाणथी चार धनुष अने एक हाथनो प्रमाणांगुल होय छे तेवा १२० अंगुलनो ऋषभदेवनो शरीरमान जाणवू, तेमांथी सुविधिनाथ गण बार बार अंगुल घटाडतां अजितनाथनो १०८, संभवनाथनो ९६, अभिनंदननो ८४, सुमतिजिननो ७२, पनप्रभनो ६०, सुपार्श्वनो ४८, चन्द्रप्रभनो ३६ अने सुविधिनाथनो २४ अंगुलनो शरीरमान समजवू. त्यार पछी बे अंगुल अने एक
१-एक धनुषना बार भाग ( अंश ) करवा. तेवा बारिया बे भाग (एक हाथ ) ग्रहण करवो. २-ऋषभदेवनो एक अंगुल समजवो.