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उल्लास] श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. पौषकृष्ण चतुर्दशी, माघ अमावस तेम । माघसुदि बीज पौषमें, सित छट्ठी दिन नेम ॥ २७६ ॥ वैशाखकृष्ण चतुर्दशी, पौषी पूनिम नोम । चेतसुदि तीज सुदि कार्तिकी, बारिस दिन छे सोम।२७७। मृगसिरसुदि एकादशी, फागुण बारसि श्याम । शुक्लैकादशी मृगसिरे, आसु अमावस ताम ॥ २७८ ॥ चोथ चैत्रकृष्णनी अरु, सुदि दशमी वैशाख । सूरिराजेन्द्र भाषिया, सूत्रतणी दे शाख ॥२७९ ॥ ९१-९२ केवलज्ञान नक्षत्र अने राशि
नक्षत्र राशि जन्म जिम, जानो हृदय विचार । वार वार कहतां थकां, बड़े छे ग्रन्थ अपार ॥ २८० ॥
९३-९४ केवलज्ञान स्थान अने वन
केवल उपन्या ठाण कहुं, वीर जूंभिका व्हार । ऋषभ पुरिमताल नयर, उर्जित नेमि निहार ॥२८१॥ शेष जिन जन्म्या जिहाँ, तेहिज नगरे ज्ञान । शकटमुखवने ऋषभने, उपन्यो केवलज्ञान ॥२८२ ॥ ऋजुवालिका नदीतटे, वीरने ज्ञान वखान । शेष जिनने व्रतवन विषे, ज्ञानोत्पत्तिस्थान ॥ २८३ ।।