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________________ पुनः ॥ गोतीर्थे , घरोवेधः । स्यात्समो:व्यपेक्ष्या ॥ ॥ ए ॥ द्विचत्वारिंशदधिका । योजनानां चतुःशती ॥ दश पंचनवत्यंशा-स्त्रैराशिकात्तु निश्चयः ॥ ७३ ॥ ननु पंचसहस्रोन-लदांते यदि लन्यते ॥ लवोऽवगाहः सहस्र-स्तदासौ लन्यते कियान ।। ए ॥ द्विचत्वारिंश. सहस्र-पर्यत इति लिख्यते ॥ राशिवयं कार्यमाद्यांत्ययोः शून्यापवर्त्तनं ॥ ५५ ॥ ५५०००, १०००, ४२००० मध्यराशिः सहस्रात्मा । हिचत्वारिंशदात्मना ॥ हतोत्येन द्विचत्वारिं-शत्सहस्राणि जझिरे ॥ १६ ॥ याद्येन पं. बूद्दीपनी दिशातरफ सरखी पृथ्वीनी अपेदाये गोतीर्थमां पृथ्वीनी नंमा नीचेमुजब . ॥ ५५ ॥ चारसो बेता. लीस पूर्णाक दश पचाणुयांश जोजनजेटली ने, अने तेनो त्रिराशिथी निश्चय थाय . ॥ २३ ॥ ज्यारे पचाणु हजार जोजने पृथ्वीनी लंडाइ एक हजार जोजननी होय. त्यारे ॥ ए ॥ बेतालीस हजार जोजने केटली होय? एवीरीते ५५०००. १०००, ४२०० नीत्रण रकमो लखवी, तथा पहेली अने ही रकमना शून्योनो बेद नडामवो. ।। ए५ ॥ पनी एकहजाररूप वचली रकमने बेल्ली बेतालीसनी रकमे गुणवी, त्यारे ते बेतालीस ह
SR No.022113
Book TitleLok Prakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay, Shravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1916
Total Pages536
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size34 MB
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