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एक दिन बाप ने एकांत में बेटों को समझाया कि तुम लोग घर में गंभीरता रख कर सब से मिलकर रहो बात वात में स्त्रियों के साथ मत झगड़ों छोटी उम्र की स्त्रियों में सुशीलता कम होती है, तुच्छता ज़्यादा होती है. मैंने जो आज तक सुख पाया है सो झगड़ा नहीं करने का ही फल है, और उसी से आज तुम भी आनंद से राज्य रिद्धि भोग रहे हो ! लड़कों ने पूछा के आपने पूर्व में क्या किया था सो सुनाओ ? कम नसीब से बापने वो बात को जो कोई भी नहीं जानता था सो सब बात उसने लड़कों को सु नादी उस समय छुप कर एक लड़के की बहु ने सब बात सुनली और अपनी क्षुद्रता से मनमें विचारने लगी कि कव सासुजी को यह वात कह कर उसको मेरे वश में लाऊं और सब में प्रधान हो जाऊं इस तरह सासू को दबाने की खातिर रात को एकांत में उसने अपनी सासू को कहा कि आज तक आप मुझे शिक्षा देने के समय चाहे ऐसे बोलती थीं किंतु आज से खयाल रखें कि मैं भी आप की पोल सब जानती हूं सासूने कहा कि मुझे तू कैसे दवाती है घरमें जो सीधी न रहेगी तो तेरे हित के खातिर मुझे कहना भी पड़ेगा बहू बोली ठीक है बोलना, सुसराजी की बात मैं भी प्रकट कर दूंगी इतना सुनते ही सासू चुप हो कर निकल गई और रात में ही आत्म हत्या कर अपनी बात छिपी रखी किंतु सासू के मरने से लोगों में बहू को कलंक लगा और सर्वत्र सासू हत्यारी प्रसिद्ध हुई इस दृष्टांत से प्रत्येक पुरुष या स्त्री को शिक्षा लेने की है कि मार्मिक बात किसी को न कहेनी चाहिये. .
पतिने गंभीरता से सुख पाया और तुच्छ बहूने मार्मिक बचन कह कर सासू की हत्या कराई इस लिये सब के साथ गंभीरता रख कर दीर्घ दृष्टि पहुंचा कर बोलना चाहिये।
. लोकोत्तर दृष्टांत. चेदि देश में श्रोति मति पुरी में तीरकदंबक नाम का वेदपाठी एक सुशील ब्राह्मण लड़कों को पढ़ाता था, राज पुत्र वसु तथा उस ब्राह्मण का पुत्र पर्वत और नारद तीनों सब विद्यार्थओं में बड़े और उपाध्याय को प्रिय थे, मुंनिओं ने पंडित के घर पर गोचरी आने के समय परस्पर वार्ता की कि इन तीन विद्यार्थियों में दो नरक गामी हैं, एक सद्गति में जाने वाला