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५ जैन बालोपदेश |
पं. मुनिश्री ज्ञानचंद्रजी पंजावी रचित बालकोंकी पढने के लिये अत्युत्तम है । किमत दो आना ।
६ विविध रत्नस्तवन भाग तीसरा ।
कि. देढआना.
७ विविध रत्नस्तवन भाग चौथा ।
कि. एकआना.
८ प्राकृत ज्योतिषसार — हिन्दी सानुवाद |
कि. बारहआना.
९ सामायिकसूत्र और प्रतिक्रमणसूत्र मूल.
कि. डेढआना.
इससे अलावा जो कितनैक पुस्तकें भेट की है इसमें जो तैयार होगी वह इसके साथ भेज दी जायगी । और उपरोक्त पुस्तकोंका जो मूल्य आवेगा वह सब ज्ञानखातामेंही लगादिया जाता है ।