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काढवा होय ते भंगांनी देवकुलिकामां जोर्बु पडे छे. पांच भंगीनी पांच देवकुलिकाना कोष्टको नीचे प्रमाणे तैयार करवा । तेना कोठामां षट्भंगी आदिना विकल्पनी असंयोगी आदि संख्या लखवी. बीजा कोठामां पदनी असंयोगी द्विकसंयोगी आदि संख्या लखवी. अने ते बन्नेनो परस्पर गुणाकार करी जे संख्या
आवे ते त्रीजा कोठामा लखवी । षट्भंगी, नवभंगी, एकवीशभंगी, ओगणपचास भंगी अकसो सुडतालीश भंगी, ए पांच भंगीने एक व्रतथी बार व्रत उपर उतारतां एक एक भंगीना एकथी मांडी बार (२) कोष्टको थाय छे. ते उपरा उपर लखीए तो तेनो आकार देवकुल जेवो थाय तेथी तेनुं नाम देवकुरिका पाडवामां आवेल छे। पांच भंगीनी पांच देवकुलिका क्रमशः नीचे मुजब
अथ षभंगी देवकुलिका.
सर्व