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तीसं मुहत्ता अहोरन पण्णरस अहोरत्ता पक्खो दो पक्खा मासो दो मासा ॐऊ तिणि ऊऊ अयणं दो अयणाइं संवच्छरे पंच संवच्छरे जुगे वीसं जगाई वाससयं दस वाससयाई वाससहस्सं सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं चो से एगे पुवंगे चउरासीई पुव्वंगसयसहस्साइं से एगे पुव्वे, चउरासीई पुव्यसयसहस्साई से एगे तुडिअंगे चरासीई तुडिअंगसयसहस्साई से एगे तुडिए च्छासीई तुडिअसयसहस्साई से एगे अडडंगे चोरासीई अडडंगसयसहस्साई से एगे अडडे, एवं अववंगे अववे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले एउमंगे परमे नलिणंगे बलिणे अच्छिनिऊरंगे अच्छिनिअरे अअंगे अए पउअंगे पउए णअंगे गए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलियंगे चउरासीई सीसपहेलियंगसयसहस्साई सा एगा सीसपहेलिआ, एयावया चेव गणिए एयावया चेव गणिअस्स विसए एत्तोवरं ओवमिए पवत्तइ॥१३७॥ से किं तं ओवमिए?, २ दुविहे पं० २०-पलिओक्मे य सागरोवमे य, से किं तं पलिओवमे?, २ तिविहे पं० २०-उद्धारपलिओवमे अद्धापलिओवमे खेतपलिओवमे य, से किं तं उद्धारपलिओवमे?, २ दुविहे पं० २०-सुहमे य वावहारिए य, त्त्य णं जे सुहमे से ठप्पे, तत्थ णं जेसे वावहारिए से जहानामए पल्ले सिआ जोयणं आयामविक्खंभेणं जोअणं उड्ढंउच्चत्तेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, सेणं पल्ले एगाहिअबेआहिअतेआहियजावउक्कोसेणंसत्तरत्तपरूढाणं संसटे संनिचिते भरिए वालग्गकोडीणं, ते णं वालग्गा नो अग्गी डहेज्जा नो वाऊ हरेज्जा नो कुहेज्जा नो पलिविद्धंसिज्जा णो पूइत्ताए हव्यमागच्छेजा, तओ णं समए २ एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पाले खीणे नीरए ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित
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