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Acharya Shei Kailashagasin Gyarmand २ अणेगविहे पं० २०-जुण्णसुरा जुण्णगुलो जुण्णघयं जुण्णतंदुला चेवा अब्मा २ अब्भक्खा संझा गंधव्वणगरा य॥२४॥ उकावाया दिसादाहा गजियं विजू णिग्घाया जूवया जक्खादित्ता धूमिआ महिआ रयुग्घाया चंदोवरागा सूरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदा पडिसूरा इंदधणू उदगमच्छ। कविहसिया अमोहा वासा वासधरा गामा णगरा घरा पव्वता पायला भवणा निरया रयण सकर० वालुअ० पंक० धूम० तम० तमतमप्पहा सोहम्मे जाव अच्चुए गेवेजे अणुत्तरे ईसिप्पब्भारा परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अणंतपएसिए, से तं साइपारिणामिए, से किं तं अणाइपारिणामिए?, २ धम्म० अधम्म० आगास० जीव० पुग्गलत्थिकाए अद्धासमए लोए अलोए जाव जीवा अजीवा भवसिद्धिआ अभवसिद्धिआ, से तं अणाइपारिणामिए, से तं पारिणामिए,से किं तं सण्णिवाइए?, एएसिं चेव उदइअउवसमिअखइअखओवसमिअपारिणामिआणं भावाणं दुग० तिय० चउक० पंचगसंजोएणं जे निष्फजन्ति सव्वे ते सनिवाइए नामे, तत्थ्णं दस दुअसंजोगा दस तिअसंजोगा पंच चउक्क्षसंजोगा एगे पंचकसंजोगे, एत्थणं जे ते दस दुगसंजोगाते णं इमे अस्थि णामे उदइएउवसभनिएफण्णे अत्थ्णिामे उदइएखाइग० अस्थिणामे उदइएखओवसम० अत्थ्णिामे उदइएपारिणामिअ० अस्थि णामे उवसमिएखय० अत्थिणामे उक्समिएखओवसम० अस्थिणामे उवसमिएपारिणामि० अत्युि णामे खइएखओवसम० अत्थि गामे खइएपारिणामि जत्यि णामे खओवसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे१०, कयरे से नामे उदइएउवसमनिप्पण्णे?, उदइएत्ति माणुस्से उवसंता कसाया, एसणं से णामे उदइएउवसमनिप्पण्णे, कयरे से णामे उदइए ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित ||
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