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________________ || २ से जहा नामए केइ पुरिसे कंचि पुरिसं सुत्तं पडिबोहिजा अमुगा अमुगत्ति, तत्थ चोअगे पन्नवर्ग एवं व्यासी किं एगसमयपविट्ठा० ॥ दुसमयपविठ्ठा० जाव दससमयपविद्वा० संखिजसमयपविट्ठा० असंखिज्जसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति?, एवं वदंतं चोअगं| पण्णवए एवं व्यासी नो एगसमयपविठ्ठा० नो दुसमयपविट्ठा० जाव नो दससमयपविद्वा० नो संखिजसमयपविद्वा० असंखिजसमयपविट्ठा पुग्गला गहणमागच्छंति, से तं पडिबोहगदिढतेणं । से किं तं मल्लगदिढतेण?, २ से जहानामए केइ पुरिसे आवागसीसाओ मल्लगं गहाय तत्थेगं उदगबिंदु पक्विविजा, से नटे, अण्णेऽवि पक्खित्ते सेऽवि नटे, एवं पक्खिप्पमाणेसु २ | होही से उदगबिंदू जे णं तंसि मल्लगंसि ठाहिति होही से उदगबिंदू जे णं तं मल्लगं भरिहिति होही से उदगबिंदू जे णं तं मल्लगं पवाहेहिति एवामेव पक्खिप्पमाणेहिं २ अणंतेहिं पुग्गलेहिं जाहे तं वंजणं पूरिअं होइ ताहे हुंति करेइ, नो चेव णं जाणइ केवि एस सद्दा (हे) इ?, तओ ईह पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस सहा (हे )इ, तओ अवायं पविसइ, तओ से उवयं (उवओगे) हवइ, तओ णं धारणं पविसइ, तओ णं धारेइ संखिजं वा कालं असंखिजं वा कालं, से जहानामए केइ पुरिसे अव्वत्तं सद सुणिज्जा तेणं सहोत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस सद्दाइ?, तओ ईहं पविसइ, तओ जाणइ अमुगे एस सद्दे० असंखेज वा कालं, से जहानामए केई पुरिसे अवत्तं रूवं पासिज्जा० अवत्तं गंधं अग्घाइज्जा तेणं गंधत्ति उग्गहिए० अवत्तं रसं आसाइज्जा तेणं रसोति उग्गहिए० अव्वत्तं फासं पडिसंवेइज्जा तेणं फासेत्ति उग्गहिए० एस फासे तओ० असंखेज्ज वा कालं, से जहानामए ॥ श्रीनन्दीसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित
SR No.021046
Book TitleAgam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages44
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size4 MB
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