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________________ || तंजहा उप्पत्तिआ वेणइआ, कम्मया परिणामिआ। बुद्धी चव्विहा वुत्ता, पंचमा नोवलब्भइ ॥६१॥ २६॥ पुवं अदिट्ठमस्सु अमवेइयतक्खणविसुद्धगहिअत्या। अव्वाहयफलजोगा बुद्धी उप्पत्तिआ नाम ॥२॥ भरहसिल पणिय रुक्खे खुड्डग पड सरड काय उच्चारे। गय घयण १० गोल खंभे खुड्डग मग्गिस्थि पइ पुत्ते १६ ॥३॥ भरह सिल मिंढ कुक्कुड तिल वालुअ हत्थी अगड वणसंडे पायस अइआ पत्ते खाडहिला पंच पिअरो अ॥४॥ महसित्य मुद्दि अंके नाणए २० भिक्खु चेडगनिहाणेो सिक्खा य अत्थसत्थे इच्छा य महं सयसहस्से २६, ॥५॥ भरनित्थरणसमत्था तिवग्गसुत्तत्थगहिअपेआलाउभओलोगफलवई विणयसमुत्था हवइ बुद्धी ६॥ निमित्ते अस्थसत्थे अ, लेहे गणिए अ कूव अस्से ओ गद्दभ लक्षण गंठी, अगए रहिए य गणिया य ॥७॥ सीया साडी दीहं च तणं, अवसव्वयं च कुंचस्सा निव्वोदए य गोणे, घोडगपडणं च रुक्खाओ ॥८॥ उवओगदिवसारा कम्मपसंगपरिघोलणविसाला साहक्कारफलवई कम्मसमुत्था हवई बुद्धी॥९॥हेरण्णिए करिसए कोलिय डोवे य मुत्ति घय पवए। तुत्राए वड्ढइय पूयइ घड चित्तकारे य १७०॥ अणुमाणहेउदिटुंतसाहिया वयविवागपरिणामा। हियनिस्सेअसफलवई बुद्धी परिणामिया नाम ॥१॥ अभए सिद्धि कुमारे देवी उदिओदए हवइ राया। साहू य नंदिसेणे धणदत्ते सावग अमच्चे ॥२॥ खमए अमच्चपुत्ते चाणक्के चेव थूलभद्दे या नासिकसुंदरिनंदे वइरे परिणामबुद्धीए ॥३॥ चलणाहण आमंडे मणी य सप्पे य खग्गि थूभिंदे । परिणामियबुद्धीए एवमाई उदाहरणा ॥७४॥ से तं असुयनिस्सियं, से किं तं सुयनिस्सियं?, २ चउव्विहं पण्णतं, तंजहा॥ श्रीनदीसूत्र ।। पू. सागरजी म. संशोषित
SR No.021046
Book TitleAgam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages44
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size4 MB
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