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तम्हा सबितिजए गमणं॥४१३॥ संघाडगअगहणे दोसा एगस्स इत्थियाउ भव।साणे भिक्खुवओगे संजमआएगयरदोसा॥२१९॥ भा० दोण्णि 3 दुद्धरिसतरा एगोत्ति हणे पदुट्ठपडिणीए। तिघरगहणे असोही अग्गहण पदोसपरिहाणी॥२२०॥ पाणिवहो तिसु गहणे पउंजणे कोंटलस्स बितियं तु। तेणं उच्छुद्धाई परिग्गहोऽणे सणग्गहणे॥१॥ विहवा पउत्थवइया पयारमलभंति दट्ठभेगागि। दारपिहाणय गहणं इच्छमणिच्छे य दोसा उ॥२२२॥ भा० गारविए काहीए माइल्ले अलस लुद्ध निद्धम्म। दुल्लभ अत्ताहिट्ठिय अमुन्ने वा असंघाडो॥४१४॥ संघाडगरायणिओ अलद्धि ओमो य लद्धिसंपत्रो। जेटुग्ग पडिग्गहगं मुह(य) गारवकारणा एगो॥२२३॥ भा० काहीउ कहेइ कहं बिइओ वारेइ अहव गुरुकहणी एवं सो एगागी माइल्लो भद्दगं भुंजे॥४॥ अलसो चिरं न हिंडइ लुद्धो ओहासए विगईओ।निद्धम्मोऽणेसणाई दुल्लहभिक्खे व एगागी॥५॥अत्ताहिट्ठियजोगी असंखडीओ वणि सव्वेसि एवं सो एगागी हिंडइ उवएसऽणुवदेसा॥६॥ सव्वोवगरणमाया असहू आयारभंडगेण सह। नयणं तु मत्तगस्सा न य परिभोगो विणा कन्जे॥७॥ आपुच्छणत्ति पढमा बिइया पडिपुच्छणायकायव्वा आवस्सिया यतइया जस्सय जोगो चउत्थो उ॥२२८॥भा० आयरियाईणऽट्ठा ओमगिलाणट्ठया यबहसोऽवि। गेलनखमगपाहुण अतिप्पएऽतिच्छिए यावि॥५॥ अणुकंपापडिसेहो कयाइ हिंडेज्ज वा न वा हिंडे। अणभोगि गिलाणहा आवस्सगऽसोहइत्ताणं॥६॥ आसन्नाउ नियत्ते कालि पहुप्पंति दूरपत्तोवि। अपहुप्यते तो च्चिय एगु धरे वोसिरे एगो॥७॥ भावासन्नो समणुन अन्नओसन्नसड्ढवेज्जघरे। सल्लपरूवण वेज्जो तत्थेव परोहडे वावि॥८॥ एएसिं असईए रायपहे ॥श्रीओधनियुक्तिसूत्र।
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पू. सागरजी म. संशोधित
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