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| होज वाउणा मुणिणो। गेलनंमि व होज्जा सचित्तमीसे परिहरेजा॥३॥ सव्वी वऽणंतकाओ सच्चित्तो होइ निच्छयनयस्सो ववहारा
अ सेसो मीसो पव्वायरोट्टाई॥४॥ संथारपायदंडगखोमिअकप्पाइ पीढफलगाई।ओसहभे सज्जाणि य एमाइ पओयणं तरुसु॥५॥ बियतियचउरो पंचिंदिया य तिप्पभिई जत्थ उ समेति। सट्ठाणे सट्ठआणे सो पिंडो तेण कजमिण॥६॥ बेइंदियपरिभोगो अक्खा ससंखसिप्पमाईणी तेइंदियाण उद्देहिगाइ जंवा वर विजो॥७॥चरिदियाण मक्खियपरिहारो आसमक्खिया चेवो पंचिंदिअपिंडमि 3 अव्ववहारी 3 नेरइया ॥८॥चम्मद्विदंतनहरोमसिंगअमिलाइछगणगोमुत्ते खीरदहिमाइयाणं पंचिंदिअतिरिअपरिभोगो॥९॥सच्चित्तो पव्वावण पंथुवदेसे य भिक्खदाणाईसीसट्ठिय अच्चित्ते मीसट्टि सरक्खपहपुच्छ। ॥३७०॥खमगाइकालकजातिएसु पुच्छेज्ज देवयं | किंचिो पंथे सुभासुभे वा पुच्छेज व दिव्वभुवओगो॥१॥अह होइ लेवपिंडो संजोगेणं नवण्ह पिंडाणी नायव्यो निष्फन्नो परूवणा तस्स कायव्वा ॥२॥अव्वकालिअलेवं भणति लेवेसणा नवि अदिहाते वत्तव्वा लेवो दिवो तेलुकदंसीहिं॥३॥आयापवयणसंजमउवधाओ दीसई जओ तिविहो।तम्हा वदंति केई न लेवगहणं जिणा बिंति॥१९२॥भा०रहपडणउत्तिमंगाइभंजणं घट्टणे य करघाओ। अह आयविराहणया जक्खुलिहणे पवयणमि॥३॥ गमणागमणे गहणा तिहाणे संयमे विराहणया। महिसरिउम्मुगहरिआ कुंथू वासं रओ व सिया॥४॥दोसाणं परिहारो चोयग! जयणाइ कीरई तेसिंी पाए उ अलिप्पंते ते दोसा हुंति णेगगुणा॥५॥ उड्ढाई विरसंभी भुंजमाणस्स हुँति आयाए। दुग्गंधि भायणमि य गरहइ लोगो पवयणमि॥६॥ पवयणधाया अन्नेवि होति जयणा 3 कीरई तेसिं। ॥श्री ओघनियुक्तिसूत्र॥
पू. सागरजी म. संबोधित
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