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| पिंडस्स उ निक्खेवो चउक्कओ छक्कओ य कायव्वो । निक्खेवं काऊणं परूवणा तस्स कायव्वा ॥२॥ नामं ठवणापिंडो दव्वपिंडो य भावपिंडो य । एसो खलु पिंडस्स उ निक्खेवो चउविहो होइ ॥ ३ ॥ गोण्णं समयकयं वा जं वावि हवेज तदुभएण कयं । तं बिंति नामपिंडं ठवणापिंडं अओ वोच्छं ॥४॥ अक्खे वराडए वा कट्ठे पोत्थे व चित्तकम्मे वा । सम्भावमसम्भावा ठवणापिंड वियाणाहि ॥ ५ ॥ तिविहो य दव्वपिंडो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो। अच्चित्तो य दसविहो सच्चित्तो मीसओ नवहा ॥६॥ पुढवी | आउक्काए तेऊवाऊवणस्सई चेव । बिअतिअचउरो पंचिंदिया य लेवो य दसमो ॥ ७ ॥ पुढविक्काओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ |य अचित्तो। सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारिओ चेव ॥८ ॥ निच्छयओ सच्चित्तो पुढविमहापव्वयाण बहुमज्जे । अच्चित्तमी सवज्जो सेसो ववहारसच्चित्तो ॥ १९ ॥ खीरदुमहेट्ठ पंथे कट्टोल्ला इंदणे य मीसो यो पोरिसि एगदुगतिगं बहुइंधणमज्झथोवे २ ॥ ३४० ॥ सीउण्हखारखत्ते अग्गीलोणूस अंबिले नेहे। वक्कंतजोणिएणं पओयणं तेणिमं होति ॥ १ ॥ अवरद्धिग विसबंधे लवणेण व | सुरभिउवलएणं च । अच्चित्तस्सउ गृहणं पओयणं होइ जं चऽन्नं ॥ २ ॥ ठाणनिसीयतुयट्टणउच्चाराईणि चेव उस्सग्गो । घट्टगडगलगलेवो | एमाइ पओयणं बहुहा ॥३॥ घणउदही घणवलया करगसमुद्दद्दहाण बहुमज्झे । अह निच्छंयसच्चित्तो ववहारनयस्स अगडाई ॥४॥ उसिणोदगमणुवत्ते दंडे वासे य पडिअमेत्ते या मोत्तूणाएसतिगं चाउलउदगं बहु पसन्नं ॥ ५ ॥ आएसतिगं बुब्बुय बिन्दू तह चाउला | न सिज्यंति। मोत्तूण तिण्णिडवेए चाउल उदगं बहु पसण्णं ॥ ६ ॥ सीउण्हखारखत्ते अग्गीलोणूस अंबिले नेहे । वक्कंतजोणिएणं पओयणं ॥ श्री ओघनिर्युक्तिसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित
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