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चेव ॥९ ॥ परपक्खेविय दुविहं माणुस तेरिच्छिअं च नायव्वं । एक्क्क्कंपि य तिविहं पुरिसित्थिनपुंसगे चेव ॥ ३०० ॥ पुरिसावायं तिविहं | दंडिअ कोडुंबिए य पागइए। ते सोय सोयवाई एमेवित्थी नपुंसा य ॥१॥ एए चेव विभागा परतित्थीणंपि होइ मणुयाणं । तिरिआणंपि विभागा अओ परं कित्तइस्सामि ॥ २ ॥ दित्तादित्ता तिरिआ जहण्णमुक्कोसमज्झिमा तिविहा। एमेवित्थिनपुंसा दुछि अदुगुछिआ || नेया ॥३॥ गमण मणुण्णे इयरे वितहायरणंमि होइ अहिगरणं । पउरदवकरण दठ्ठे कुसील सेहऽण्णहाभावो ॥४॥ जत्थऽम्हे वच्चामो | जत्थ य आयरइ नाइवग्गो णे। परिभव कामेमाणा संकेयगदित्रया वावि॥५॥ दव अप्प कलुस असइ अवण्ण पडिसेह विप्परीणामो । संकाईया दोसा पंडित्थिगहे य जं चणं ॥६॥ आहणणाई दित्ते गरहिअतिरिएस संकमाईया। एमेव य संलोए तिरिए वज्जेत्तुं मणुयाणं ॥७॥ कलुसदवे असई य व पुरिसालोए हवंति दोसा 31 पंडित्थीसुवि एए खद्धे वेउव्वि मुच्छा य॥८ ॥ आवायदोस तइए बिइए संलोयओ भवे दोसा । ते दोवि नत्थि पढमे तहिं गमणं तत्थिमा मेरा ॥ ९ ॥ कालमकाले सण्णा कालो तइयाइ |सेसयमकालो। पढमा पोरिसि आपुच्छ पाणगमपुफियऽण्णदिसिं ॥ ३१०॥ अइरेगगहण उग्गाहिएण आलोय पुच्छिउं गच्छे। एसा 3 अकालंमी अणहिंडिय हिंडिया कालो ॥१॥ कप्पेऊणं पाए एक्केक्स्स उ दुवे पडिग्गहए। दाउं दो दो गच्छे तिण्हऽट्ठ दवं तु घेत्तूणं ॥ २ ॥ अजुगलिया अतुरंता विकहार हिया वयंति पढमं तु । निसिइत्तु डगलग्रहणं आवडणं वच्चमासज्ज ॥ ३ ॥ अणावायमसंलोए, | परस्सणुवधाइए। समे अज्झसिरे यावि, अचिरकालकयंमि य ॥४॥ वित्थिण्णे दूरमोगाढे, नासण्णे बिलवज्जिए । तसपाणबीयर हिए, ॥ श्री ओघनिर्युक्तिसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित
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