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| पसिढिलमघणं अतिराइयं च विसमगहणं व कोणं वा। भूमीकरलोलणया कड्ढणगहणेकआमोसा॥१६४॥ भा० धुणणा तिण्ह | परेणं बहूणि वा घेतु एक्कई धुणइ। खोडणपमजणासु य संकियगणणं करि पमाई॥१६५॥ भा० अणूणाइरिनपडिलेहा, अविवच्चासा तहेव या पढम् पयं पसत्थं, सेसाणि य अव्यसत्थाणि॥२६९॥ नवि ऊणा नवि रित्ता अविवच्चासा उ पढमओ सुद्धो। सेसा होइ असुद्धा उवरिल्ला सत्त जे भंगा॥१६६॥ भा० खोडपमजणवेलाउ चेव ऊणाहिया मुणेयव्वा। अरुणावासग पुव्वं परोप्परं पाणिपडिलेहा॥२७०॥ एते 3 अणाएसा अंधारे उग्गएविह न दीसे। मुहरयनिसिज्जचोले कप्पतिग दुपट्ट थुइ सूरो॥१॥ पुरिसुवहिविवच्चासो सागरिए करिज्ज उवहिवच्यासो आपुच्छित्ताण गुरुं पहच्चमाणेयरे वितहं ॥२॥ पडिलेहणं करेंतो मिहो कहं कुणइ जणवयकहं वादे व पच्चक्खाणं वाएइ सयं पडिच्छइ वा॥३॥ पुढवीआऊक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणी पडिलेहणापमत्तो छण्हंपि विराहओ होइ॥४॥ घडगाइपलोडणया मट्टिय अगणी य बीय कुंथाई। उदगगया व तसेयर ओमुय संघट्ट झावणया॥५॥ इय दव्वओ उ छण्हंपि विराहओ भावओ इहरहावि। उवउत्तो पुण साहू संपत्तीए अवहओ ॥२३५०॥ पुढवीआउछाएतेऊवाऊवणस्सइतसाणी पडिलेहणमाउत्तो छण्हंऽपाराहओ होइ॥६॥ जोगो जोगो जिणसासणंमि दुक्खक्ख्या पउंजते। अण्णोण्णमबाहाए असवत्तो होइ कायव्वो ॥७॥ जोगे जोगे जिणसासणमि दुक्खक्ख्या पउंजते। एक्कमि अणंता वटुंता केवली जाया॥८॥ एवं पडिलेहंता अईयकाले अणंतगा सिद्धा। चोयगवयणं सत्यं पडिलेहेमो जओ सिद्धी॥९॥ सेसेसु अवतॄतो पडिलेहंतोवि देसमाराहे। ॥श्री ओधनियुक्तिसूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित ||
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