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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पुणो जं च । माई भद्दगभोई पंतेण उ अध्पणो छाए ॥ २० ॥ ओहासइ खीराई विजंतं वा न वारई लुद्धो । जे अगवेसणदोसा एगस्स | य ते उ लुद्धस्स ॥ २१ ॥ नडभाई पिच्छंतो ता अच्छइ जाव फिट्टई वेला । सुत्तत्थे पडिबद्धो ओसक्कणुसकमाईआ ॥ प्र०२२ ॥ एयद्दोसविमुक्कं कडजोगिं नायसीलमायारं । गुरुभत्तिमं विणीयं वेयावच्चं तु कारेज्जा ॥१३४॥ भा० । साहंति य पिअधम्मा एस दो अभिग्गहविसेसे। एवं तु विहिग्गहणे दव्वं वड्ढति गीयत्था ॥ ५ ॥ दव्वप्यमाण गणणा खारिअ फोडिअ तहेव अद्धा यो संविग्ग एगठाणे अणेगसाहूसु पन्नरस ॥६॥ संघाडेगो ठवणाकुलेसु सेसेसु बालवुड्ढाई | तरुणा बाहिरगामे पुच्छा दिद्वंतऽगारीए ॥१३७॥ | भा० । पुच्छा गिहिणो चिंता दिट्टंतो तत्थ खुज्जबोरीए । आपुच्छिऊण गमणं दोसा य इमे अणापुच्छे ॥ २४० ॥ परिमिअभत्तगदाणे | नेहादवहरड़ थोव भोवं तु । पाहुण वियाल आगम विसन आसासणा दाणं ॥ ८ ॥ भा० । एवं पीइविवुड्डी विवरीयऽण्णेण होइ दिट्टंतो। | लोउत्तरे विसेसो असंत्र्या जेण समणा ३ ॥ ९ ॥ जणलावो परगामे हिंडिन्ताऽऽणेति वसइ इह गामे। दिज्जह बालाईणं कारणजाए य सुलभं तु ॥ १४० ॥ पाहुणविसेसदाणे निज्जर कित्ती य इहर विवरीयं । पुव्वं चमढणसिग्गा न देंति संतंपि कज्जेसु ॥१॥ गामब्भासे बयरी नीसंदकडुष्फला य खुज्जा यो पक्कामालसडिंभा घा(खा )यंति घ(य)रे गया दूरे ॥२॥ गामम्भासे बयरी नीसंदकडुष्फला य खुज्जा यो पक्कामालसडिंभा खायंतियरे गया दूरं ॥ ३ ॥ सिग्घयरं आगमणं तेसिंऽण्णेसिं च देति सयमेव । खायंती एमेव उ आयपरहिआवहा तरुणा ॥४॥ खीरदहिमाइयाणं लंभो सिग्घतरगं च आगमणं । पइरिक्क उग्गमाई विजढा अणुकंपिआ इयरे ॥ ५ ॥ ॥ श्री ओघनिर्युक्तिसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित २७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.021043
Book TitleAgam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_oghniryukti
File Size11 MB
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