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पडिच्छणदीहखद्धसुवणेसु वण्णिा दोसा ते चेव सपडिवक्खा होति इहं कारणजाए॥१४॥ विहिपुच्छाए सण्णी सोउं पविसे न बाहि संचिक्खे। उग्गमदोसभएणं चोयगवयणं बहिं ठाउं ॥५०भा० सोच्चा दह्णं वा बाहिठिअं उग्गमेगयर कुना। अप्पत्त पविठ्ठो पुण चोयग! दढे निवारेज्जा॥५१॥ भा०। उग्गभदोसाईणं कहणा उपायणेसणाणं च। तत्थ उ नत्थी सुन्ने बाहिं सागार कालदुवे॥१५॥ फेडेज्ज व सइकालं संखडि घेत्तूण वा पए गच्छे। सुण्णघाइप्लोयण चेइय आलोयणाऽबाहं ॥५२॥ भा० | उगमएसणकहणं न किंचि करणिज अह विहिदाणी कस्सऽट्ठा आरंभो तुझेसो? पाहुणा डिंभा॥३॥ रसवइपविसण पासण मिअममिअमुवखडे तहा गहणी पजत्ते तत्थेव 3 उभएगयरे य ओयविए॥४॥ असइ अपजत्ते वा सुण्णघराईण बाहिं संसद्धे। लट्ठीइ दारघट्टण पविसण उस्सग्गआसत्थे५॥आलोअणमालावो अहिटुंमिवि तहेव आलावोकिं उल्लावं न देसी? अदिव निस्संकिअं भुंजे॥६॥ दिट्ठ असंभम पिंडो तुन्झविय इमोत्ति साह वेउव्वी। सोवि अगारी दोच्चा नीइ पिसाउत्तिकाऊणं॥७॥ निव्वेण व मालेण व वउपवेसेण अहव सढयाए। गमणं च कहण आगम दूरभासे विही इणमो॥८॥ थोवं भुंजइ बहुअं विगिंचई पउमपत्तपरिगुणणी पत्तेसु कहिं भिक्खं? विट्ठमदिढे विभासा ३॥९॥ अहिढे किं वेला? तेसिं निबंधमि दायणे खिंसा। ओहामिओ 3 बडुओ वण्णो य पहाविओ तहि॥६०॥ सुण्ण घरासइ बाहिं देवकुलाईसु होइ जयणा । तेगिच्छिधाउखोभो मरणं अणुकंप पडिअरण॥१॥ इरियाइ पडिकतो परिगुणणं संधिआ भि का गुणिआ?| अम्हं एसुवएसो धमकहा दुविहपडिवत्ती॥२॥ डिल्लासइ चीरं || श्री ओघनियुक्तिसूत्र।
पू. सागरजी म. संचित
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