________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
| कप्पड़ से तं सरीरंग मा सागारियंमि त्तिकट्टु तं सरीरंगं एगंते अच्चित्ते बहुफासुए थंडिले पडि० पम० परिद्ववेत्तए, अत्थि वा इत्थ केइ साहम्मियसंतिए उवगरणजाए परिहरणारिहे कप्पड़ णं से सागारकडं गहाय दोच्चंपि ओग्गहं अणुन्नवेत्ता परिहारं | परिहरेत्तए' ४७२ २१ । सागारिए उवस्मयं वक्कएणं पञ्जेज्जा, से अ वक्कइयं वएज्जा 'इमम्हि य इमम्हि य ओवासे समणा निग्गन्था परिवसंति?", से सागारिए परिहारिए, से य नो वएज्जा, वक्कइए वएज्जा इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्ति से सागारिए परिहारिए, दोवि ते वएज्जा अयंसि २ ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्तु, दोवि ते सागारिया परिहारिया | २२ । सागारिए उवस्सयं विक्किणेज्जा, से य कइयं वएज्जा इमम्हि य इमम्हि य ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्ति, ते सागारिए पारिहारिए, से य नो एवं वएज्जा, कइए वएज्जा अयंसि २ ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्तु, से सागारिए पारिहारिए, दोवि ते वएज्जा अयंसि २ ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्तु, दोवि सागारिया परिहारिया | २३ || विहवधूया नायकुलवासिणी सावियावि ओग्गहं अणुन्नवेयव्वा सिया किमङ्ग पुण तम्पिया वा भाया वा पुत्ते वा?, से य दोवि ओग्गहं ओगेण्हियव्वा । २४ । पहिएवि ओग्गहं अणुन्नवेयव्वे' '५१७।२५ ) से रज्ज (राय) परियट्टेसु संथडेसु अव्वोगडेसु | अव्वोच्छिन्नेसु अपरपरिग्गहिएसु भिक्खुभावस्स अट्ठाए सच्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुन्नवणा चिट्ठइ अहालन्दमवि ओग्गहे । २६ । से य रज्जपरियट्टेसु असंथडेसु वोगडेसु वोच्छिन्नेसु परपरिग्गहिएसु भिक्खुभावस्स अट्ठाए दोच्चपि ओग्गहे अणुन्नवेयव्वे ॥ श्री व्यवहारसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित
२५
For Private And Personal Use Only