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परिहारे वा।२६ भिक्खू य गाओ अवकम्म एगल्लविहारपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरेज्जा, से य इच्छेज्जा दोच्चपि तमेवगणं उवसंपज्जिताणं विहरित्तए, पुणो आलोएज्जा पुणोपडिक्कमेजा पुणो छेयपरिहारस्स उवढाएज्जा २७] एवं गणावच्छेइए वा २८ एवं आयरिए।२९। एवं उवझाए ३० भिक्खू य गणाओ अवक्कम पासत्थविहारे विहरेज्जा, से य इच्छेजा दोच्चपि तमेव गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, अत्थियाई ५ से पुणो आलोएज्जा पुणो पडिक्कमेज्जा पुणो छेयपरिहारस्स उवढाएज्जा३१॥ एवं अहाछन्दो कुसीलो ओसनो संसत्तो '८९१३२। भिक्खू य गणाओ अवक्कम परपासंडपडिम उवसंपज्जिताणं विहरेजा परलिंगं च गेण्हेज्जा, से य इच्छेज्जा दोच्चंपि तमेव गणं उसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नत्यि णं तस्स तप्पत्तियं केइ छेए वा परिहारे वा, नन्नत्थ एगाए आलोयणाए।३३। भिक्खू य गणाओ अवक्कम्म ओहावेज्जा, से य इच्छेज्जा दोच्चंपि तमेव गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नथि णं तस्स तप्पत्तियं केइ छए वा परिहारे वा, नन्नत्य एगाए सेहोवढावणाए ९१४१३४। भिक्खू य अन्नयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता इच्छेज्जा आलोएत्तए, जत्थेव अप्पणो आयरियउवझाए पासेना कप्पइ से तस्संतिए आलोएत्तए वा पडिक्कमेत्तए वा निन्दित्तए वा गरहित्तए वा विउहित्तए वा विसोहित्तए वा अकरणयाए अब्भुढेत्तए वा अहारिहं तवोकम्म पायच्छित्तं पडिवजेत्तए वा, नो चेव अप्पणो आयरियउवझाए पासेज्जा जत्थेव संभोइयं साहम्मियं बहुस्सुयं बझागमं पासेज्जा तस्संतिए कप्पड़ से आलोएत्तए वा जाव पडिवजेत्तए ॥श्री व्यवहारसूत्रम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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