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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie ||सीए भोयणजाए तं नो अप्पणा भुञ्जेज्जा नो अन्नेसिं दावए एगन्ते बहुफासुए पएसे थंडिले पडिलेहित्ता पमज्जित्ता परिद्ववेयव्ये|| सिया '२३५॥१२॥निग्गन्थीए यराओ वा विद्याले वा उच्चारं वा पासवणं वा विगिञ्जमाणीए वा विसोहेमाणीए वा अन्नयरे पसुजाइए वा पक्खिजाइए वा अन्नयर इन्दियजायं परामुसेज्जा तं च निग्गन्थी साइज्जेज्जा हत्थकम्मपडिसेवणपत्ता आवजइ चाउमासियं परिहाद्वाणं अणुग्धाइय।१३। निग्गन्थीए य राओ वा वियाले वा उच्चारं वा पासवणं वा विगिञ्चमाणीए वा विसोहेमाणीए वा अन्नयरे पसुजाइए वा पक्खिजाइए वा अन्नयरंसि सोयंसि ओगाहेज्जा तं च निग्गन्थी साइजेज्जा मेहुणपडिसेवणपत्ता आवजइ चाउम्भासियं परिहारद्वाणं अणुग्धाइयं '२४५११४। नो कप्पइ निग्गन्थीए एगाणियाए होत्तए।१५। नो कप्पइ निग्गन्थीए एगाणियाए गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खभित्तए वा पविसित्तए वा।१६। नो कप्पइ निग्गन्थीए एगाणियाए बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा॥१७नो कप्पइ निग्गन्थीए एगाणियाए गामाणुगाभं दूइज्जित्तए।१८। नो कप्पड़ निग्गन्थीए एगाणियाए वासावासं वत्थए २५१।१९। नो कप्पइ निग्गन्थीए अचेलियाए होत्तए २५६१२० नो कप्पइ निग्गन्थीए अपाइयाए होत्तए '२६०२१। नो कप्पइ निगन्थीए वोसटुकाइयाए होत्तए २६१।२२। नो कप्पइ निगन्थीए बहिया गामस्स वा जाव संनिवेसस्स वा उड्ढे बाहाओ पगिझिय २ सूराभिमुहाए एगपाइयाए ठिच्चा आयावणाए आयावेत्तए।२३। कप्पड़ से उवस्सयस्स अंतो वगडाए संघाडियपडिबद्धाए पलंबियबाहि(हु )याए समतलपाइयाए ठिच्चा आयावणाए आयावेत्तए २६९।२४ तो ॥ श्री बृहत्कल्पसूत्रम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित | २३ For Private And Personal
SR No.021037
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages41
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size9 MB
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