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सदसराया चत्तारि मासा ५२॥ सदसरायं चाउम्मासियं परिहारहाणं पट्टविए अणगारे अन्तरा मासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता | आलोएज्जा अहावरा पक्खिया आरोवणा० तेण परं पञ्चूणा पञ्च मासा ५३। पञ्चूणं पञ्चमासियं परिहारद्धाणं पढविए अणगारे अन्तरा दोमासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा० तेण परं अद्धछट्ठा मासा ५४१ अद्धछट्टे मासियं परिहारहाणं पढविए अणगारे अन्तरा मासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा पक्खिया आरोवणा० तेण परं छम्भासा ३६९' ५५ उपसंहारः '४२५' ॥॥इति श्रीनिशीथच्छेदसूत्रं सम्मत्तं ॥प्रभु महावीरस्वामीनी पट्टपरंपरानुसार कोटीगणवैरी शाखा-चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक, सैलाना नरेश प्रतिबोधक, देवसूर तपागच्छ, समाचारी संरक्षक, आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्यदेवेश् श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी | महाराजा शिष्य प्रौढ प्रतापी-सिध्धचक्र आराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म. सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्य विजेतामालवोध्धारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगम विशारद, नमस्कार महामंत्र समाराधक पूज्यपाद पंन्यास प्रवर श्री अभयसागरजी म. सा. शिष्य शासन प्रभावक, नीडर वक्ता पू. आ. श्री अशोकसागर सुरिजी | म.सा. शिष्य परमात्म भक्ति रसभूत पू. आ. श्री जिनचन्द्रसागर सू.म.सा. लघुगुरुभ्राता प्रवचन प्रभावक पू.आ. श्री हेमचन्द्रसागर
म.सा. शिष्य पू. गणी श्री पूर्णचन्द्रसागरजी म.सा. आ आगमिक सूत्र अंगे सं. २०५८ /५९/६० वर्ष दरम्यान संपादन कार्य II श्री निशीथसूत्रं ॥]
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पू. सागरजी म. संशोधित
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