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अत्तीकरेइ अच्चीकरेइ अत्थीकरेइ करतं वा सा० एवं सो चेव रायगमो णेयव्वो३९-४१० देसारक्खियं०४२-४४० सीमारक्खियं०।४५-४७० रण्णारक्खियं०४८-५०० सव्वारक्खियं० २९०६१-५३० अन्नमनस्स पाए एवं तइयउद्देसगमेण णेयव्वं जाव गामाणुगाम दुइज्जमाणो अनमनस्स सीसवारियं करेइ तं वा सा० '२९१५४-१०६० साणुप्पाए उच्चारपासवणभूमि न पडिलेहेइ न पडिलेहंतं वा सा० २९५'११०७० तओ उच्चारपासवणभूमीओ न पडिलेहेइ न पडिलेहतं वा सा० २९९ ११०८० खुड्डागंसि थण्डिलंसि उच्चारपासवणं परिवइ परिवंतं वा सा० '३०४११०९० उच्चारपासवणं अविहीए परिहवेइ परिवंतं वा सा० '३०७१११०० उच्चारपासवणं परिहवेत्ता न पुञ्छइ नपुञ्छत वा सा०१११११० कटेण वा कलिञ्चेण वा अङ्गुलियाए वा सलागाए बा पुञ्छइ पुञ्छत वा सा०।११२३० नायमइ नायमंतं वा सा०११३० तत्थेव आयमइ आयमंतं वा सा०।११४० अतिदूरे आयमइ आयमंतं वा सा०।११५। जे भिक्खू परं तिहं नावापूराणं आयमइ आयमंतं वा सा० '३१७'१११६० अपरिहारिए णं परिहारियं बुया एहि अज्जो! तुम च अहं च एगओ असणं वा० पडिग्गाहेत्ता तओ पच्छा पत्तेयं पत्तेयं भोक्खामो वा पाहामो वा, जो तमेवं वयइ वयंत वा सा०, तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारहाणं उग्धाइयं '३२९॥ ११७॥ चउत्थो उद्देसओ४॥
जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्चा आलोएज्ज वा पलोएज्ज वा आलोयंत वा पलोयंत वा सा० जे० सचित्तरुक्खमूले ॥ श्री निशीथसूत्रं ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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