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| एव होइ चंदस्स। कालो वा जुण्हा वा तेणय (ऽणु) भावेण चंदस्स ॥६॥अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगा य उववण्णा पंचविहा|| जोइसिया चंदा सूरा गहगणा य ॥७॥ तेण परं जे सेसा चंदाइच्चगहतारनक्खत्ता। नत्थि गई नवि चारो अवटिया ते मुणेयव्वा ॥८॥ दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सागरे लवणतोए।धाइयसंडे दीवे बारस चंदाय सूराय ॥९॥एगे जंबुद्दीवे दुगुणा कालोयए तिगुणिया ससिसूरा धायईसंडे ॥ १५०॥ धायइसंडप्पभिई उठ्ठिा तिगुणिया भवे चंदा आइल्लचंदसहिया अणंतराणंतरे खित्ते ॥१॥रिक्खग्गहतारम्गा दीवसमुदाण इच्छसे ना तस्स ससीहि 3 गुणियं रिक्खग्गहतारयम्गंतु ॥२॥बहिया उमाणुसनगस्स चंदसूराणऽवट्ठिया जोगा।चंदा अभीइजुत्ता सूरापुण हुँति पुस्सेहिं ॥३॥चंदाओ सूरस्सयसूराससिणोय अंतर होइोपण्णाससहस्साई|| जोयणाणं अणूणाई॥४॥ सूरस्सय सूरस्स यससिणो ससिणो य अंतर होइ। बहिया उमाणुसनगस्स जोअणाणं सयसहस्सं ॥५॥ सूरतरिया चंदा चंदंतरिया 3 दिणयरा दित्तचित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य॥६॥अट्ठासीयं च गहा अट्ठावीसं च हुंति नक्खत्ता। एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वुच्छामि ॥७॥ छावट्ठि सहस्साई नव चेव सयाई पंचसयराई एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं ॥८॥वाससहस्सं पलिओवमं च सूराण सा ठिई भणिया। पलिओवम चंदाणं वाससयसहस्समब्भहियं ॥९॥ पलिओवमं गहाणं नक्खत्ताणंच जाण पलियद्धीपलियचउत्थो भाओ ताराणविसाठिई भणिया॥१६०॥पलिओवभट्ठभागो ठिई जहण्णा उजोइसगणस्सा पलिओवभमुक्कोसं वाससयसहस्समब्भहियं ॥१॥ भवणवइवाणवंतरजोइसवासी ठिई मए कहिया। कप्पवईविय वुच्छं बारस इंदे | ॥ श्री देवेन्द्रस्तव सूत्र॥
[पू. सागरजी म. संशोधिन ।
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