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| दढचारितं मोत्तुं आइज्जं भयहरं च गुणरासिं। इक्को अज्झावेई तमणायारं न तं गच्छं ॥ ४ ॥ घणगज्जियहयकुहियं विज्ज दुग्गज्झगूढ हिययाओ। अज्जा अवारियाओ इत्थीरज्जं न तं गच्छं ॥ ५ ॥ जत्थ समुद्देसकाले साहूणं मंडलीइ अज्जाओ। गोयम् ! ठवंति पाए इत्थीरज्जं न तं गच्छं ॥ | ६ ॥ जत्थ मुणीण कसाए जगडिज्जंतावि परकसाएहिं । निच्छंति समुद्वेडं सुनिविट्ठो पंगुलो चेव ॥७॥ धम्मंतरा भीए भीए संसारगब्भवसहीणं । न उईरंति कसाए मुणी मुणीणं तयं गच्छं ॥ ८ ॥ कारणमकारणेणं अह कहवि मुणीण उट्ठहिं कसाए। उदिएवि जत्थ संभन्ति खामिज्जइ | जत्थ तं गच्छं ॥९॥ सीलतवदाणभावण चउविहधम्मंतराय भयभीए । जत्थ बहू गीअत्थे गोयम् ! गच्छं तयं भणियं ॥ १०० ॥ जत्थ य गोयम् ! पंचण्ह कहवि सूणाण इक्कमवि हुज्जा । तं गच्छं तिविहेणं वोसिरिय वइज्ज अन्नत्थ ॥ १ ॥ सूणारंभपवत्तं गच्छं वेसुज्जलं न सेविज्जा। जं चारितगुणेहिं उज्जलं तं तु सेविना ॥ २ ॥ जत्थ य मुणिणो कयविक्कयाई कुव्वंति संजमुब्भट्ठा। तं गच्छं गुणसायर ! विसंव दूरं परिहरिजा ॥ ३ ॥ आरंभेसु पसत्ता सिद्धंत परम्मुहा विसयगिद्धा । मोत्तुं मुणिणो गोयम! वसिज मज्झे सुविहियाणं ॥ ४ ॥ तम्हा सम्म निहालेडं, गच्छं सम्मग्गपट्टियां वसिज्जा पक्ख मासं वा, जावज्जीवं तु गोयम्! ॥ ५ ॥ जड्डो वुड्ढो तहा सेहो, जत्थ रक्खे उवस्सयं । तरूणो वा जत्थ एगागी, का मेरा तत्थ भासियो ? ॥ ६ ॥ जत्थ य एगा खुड्डी एगा तरुणी उ रक्खए वसहिं । गोयम् ! तत्थ विहारे का | सुद्धी बंभचेरस्स? ॥ ७॥ जत्थ य उवस्सयाओ राई गच्छे मुहुत्तमित्तंपि । एगा रत्तिं समणी का मेरा तत्थ गच्छस्स ? ॥ ८ ॥ जत्थ य एगा समणी एगो समणो य जंपए सोम्म ! । निअबंधुणावि सद्धिं तं गागच्छं गच्छगुणहीणं ॥ ९ ॥ जत्थ जयारमयारं समणी जंपड़ गिहत्थपच्चक्खं ।
॥ श्री गच्छाचार सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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