________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुत्तीसभिइउवेओ संजमतवनिअमजोगजुत्तमणो।समणो समाहिअमणो दंसणनाणे अणन्नमणो ॥९॥मेरुव्व पव्वयाणं सयंभुरमणुब्ब|| चेव उदहीणी चंदो इव ताराणं तह संथारो सुविहिआणं ॥३०॥ भण केरिसस्स भणिओ संथारो केरिसे व अवगासे। उक्खंपिगस्स करणं एवं ता इच्छिमो नाउं ॥१हायति जस्स जोगा जरा अविविहा अति आयंका। आरूहइ असंथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो | ॥२॥ जो गारवेण मत्तो निच्छइ आलोअणं गुरुसगासे। आरूहइ असंथारं अविसुद्धो तस्स संथारो॥ ३॥ जो पुण पत्तभूओ करेइ
आलोअणं गुरुसगासेआरूहइ अ० सुवि० ॥४॥जो पुण दंसणमइलो सिढिलचरित्तो करेइ सामन्न०आरू० अवि० ॥५॥जो पुण दसणसुद्धो आयचरित्तो करेइ सामनी आरू० सुवि० ॥६॥जो रागदोसरहिओ तिगुत्तिगुत्तो तिसल्लमयरहिओआरूहइ०, सुवि०॥ ७॥ तिहिं गारवेहिं रहिओ तिंदडपडिमोयगो पहिअकित्ती।आरूहइ० सुवि० ॥८॥चविहकसायमणो चाहिं विकहाहिं विरहिओ निच्चीआरूहइ०, सुवि० ॥९॥ पंचमहव्वयकलिओ पंचसु समिईसु सुदु आउत्तो आरूहइ ०, सुवि० ॥ ४०॥छकाया पडिविरओ) सत्तभयट्ठाणविरहिअमईओ। आरूहइ०, सुवि० ॥१॥ अट्ठमयट्ठाणजढो कम्मट्टविहस्स खवणहेउत्तिो आरूहइ०, सुवि० ॥२॥ नवबंभचेरगुत्तो उज्जुत्तो दसविहे समणधम्मोआरूहइ०, सुवि० ॥३॥जुत्तस्स उत्तमढे मलियकसायस्स निम्वियारस्साभण केरिसोउ लाभो संथारगयस्स समणस्स? ?॥४॥जुत्तस्स उत्तमढे मलियकसायस्स निम्वियारस्साभण केरिसंच सुक्खं संथारगयस्स खमगस्स? | ॥५॥ पढमिल्लगंमि दिवसे संथारगयस्स जो हवइ लाभो। का दाणि तस्स सक्को अग्धं काउं अणग्धस्स॥ ६॥ जो संखिजभवटिइ
| पू. सागरजी म. संशोधित
| ॥श्री संस्तारक सूत्र।
For Private And Personal Use Only