________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए?०, गो ! नो इणढे समटे, से केण्डेणं भंते! एवं वुच्चइ जीवे णं गब्भगए समाणे नो पहू मुहेणं|| कावलियं आहारं आहारित्तए?, गो०! जीवेणं गब्भगए समाणे सवओ आहारेइ सव्वओ परिणामेइ सव्वओ अससइ सव्वओ नीससह अभिक्खणं आहारेइ जाव अभिक्खणं नीससइ आहच्च् आहारेइ जाव आहच्च निस्ससइ, से माउजीवरसहरणी पुत्तजीवरसहरणी, पुत्तजीवरसहरणी माउजीवपडिबद्धा पुत्तजीवं फुडा तम्हा आहारेइ तम्हा परिणामेइ, अवराऽवियणं पुत्तजीवपडिबद्धा माउजीवफुडा तम्हा चिणाइ तम्हा उवचिणाइ, से एएणं अटेणं गो०! एवं वुच्चइ जीवेणं गभगए समाणे नो पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए १४जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे किमाहारं आहारेइ?, गो०! जं से माया नाणाविहाओ रसविगईओ तितकडुअकसायंबिलमहराई दव्वाई आहारेइ तओ एगदेसेणं ओअमाहारेइ, तस्स फलबिंटसरिसा उप्पलनालोवमा भवइ नाभी, रसहरणी जणणीए सयाइ नाभीए पडिबद्धा नाभीए, ताओ गब्भो ओयं आइयइ, अण्हयंतीए आयाए, तीए गब्भोऽवि वड्डइ जाव जाउत्ति ५। कइ णं भंते! माउअंगा |पं०?, गो०! तओ माउअंगा पं० २०-मंसे सोणिए मत्थुलुंगे, कइ णं भंते! पिउअंगा पं०?, गो०! तओ पिउअंगा पं० २०-अर्हि
अद्विमिंजा केसमंसुरोमनह।।६। जीवे णं भंते! गब्भगए समाणे नरएसु उववजिजा?, गो०! अत्गइए,उववजिज्जा अत्यंगइए नो उववजिजा, से केण्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ जीवे णं गब्भगए समाणे नरएसु अत्थेगइए उववजिज्जा अत्थेगइए नो उववजिज्जा?, गो, जे णं जीवे गभगए समाणे सन्नी पंचिंदिए सव्वाहिं प्रज्जतीहिं प्रज्जत्तए वीरियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वेउव्विअलद्धीए, श्री तन्दुलवैचारिक सूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only