________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कप्पति अहं सरीरबाउसियाणं होत्तए, तुमं च णं देवाणुप्पिए! सरीरबाउसिया अभिक्खणं २ हत्थे घोवसि जाव निसीहियं चेतेसि, त|| णं तुम देवाणुप्पिए! एयस्स ठाणस्स आलोएहि०, सेसं जहा सुभदाए जाव पाडियवं उवस्सयं उवसंपजित्ताणं विहरति, तते णंसा भूता अजा अणोहट्टिया अणिवारिया सच्छंदमई अभिक्खणं २ हत्थे घोवति जाव चेतेति, तते णं सा भूया अजा बहूहिं चउत्थछट्ट० बहूइं| वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कम्ये सिरिवडिंसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिजसि जाव ओगाहणाए सिरिदेवित्ताए उववण्णां पंचविहाए पज्जत्तीए पजत्ता, एवं खलु गो०! सिरीए देवीए/ एसा दिव्या देविड्डी लद्धा पत्ता०, लिई एगं पलिओम, सिरी णं भंते! देवी जाव कहिं गच्छिहिति०? महाविदेहे वासे सिल्झिहिति०, एवं खलु जंबू! निक्खेवओ, एवं सेसाणवि नवण्हं भाणियव्वं, सरिसनामा विमाणा कप्पे, पुव्वभवेनगरचेइयपियमादीणं अप्पणो य/ नामादी जहा संगहणीए, सव्वा पासस्स अंतिए निक्खंता तातो पुष्पचूलाणं सिस्सिणीयातो सरीरबाउसियाओ सव्वाओ अणंतरं चइत्ता/ महाविदेहे वासे सिझिहिति ॥२९॥पुष्पचुलियाओ समत्ताओ चउत्थो वग्गो ११॥ प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट परंपरानुसार कोटीगणवैरी शाखा- चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक-सैलाना नरेश प्रतिबोधक-देवसूर तपागच्छ-समाचारी संरक्षक-आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्य देवेश श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा) शिष्य प्रौढ़ प्रतापी, सिध्धचक्रआराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म.सा. शिष्य चारित्र चूडामणी. || श्रीपुष्फचूलिया सूत्र।
.मानवीय संचालित
For Private And Personal Use Only