________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मणीहिं उक्सोभिए, तं० -कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे|| |पं०?, गो०! तेसिंणं मणुआणं छव्विहे संघयणे छबिहे संठाणे बहूइंधणूई उद्धंउच्चत्तेणं जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडीआउयं पालेति त्ता अप्पेगइया णिस्यगामी जाव देवगामी अप्पेगइया सिझंति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति, तीसे णं समाए तओ वंसा समुप्पज्जियां तं०-अहंतवंसे चक्रवट्टिवंसे दसारवंसे, तीसे णं समाए तेवीसं तित्थयरा इकारस चक्कवट्टी णव बलदेवा णव वासुदेवा समुप्पज्जित्था ॥३५॥ तीसेणं समाए एकाए सागरोवमकोडाकोडीए बायालीसाए वाससहस्सेहिं अणिआए काले वीइकंते अणंतेहिं वण्णपजवेहिं तहेव जाव परिहायमाणीए २ एत्थ्णं दूसमाणाणं समा काले पडिवजिस्सइ समाउसो!, तीसे गंभंते! समाए भहस्स वासस्स के रिसए आगारभावपडोआरे भविस्सइ?, गो०! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा मुइंगपुक्खरेइ वा जाव णाणामणिपंचवण्णेहि कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, तीसे णं भंते! समाए भहस्स वासस्स मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो०! तीसे णं मणुआणं छविहे संध्यणे छबिहे संठाणे बहुईओ रयणीओ उद्धंउच्चत्तेणं जह० अंतोमुहत्तं उक्को० साइरेगं वाससयं आउयं पालेंति त्ता अप्पेगइया णिस्यगामी जाव सव्वदुक्खाणभंतं करेंति, तीसे णं समाए पच्छिमे तिभागे गणधम्मे पासंडधम्मे रायथम्मे जायतेए धम्मचरणे य वोच्छिजिस्सइ॥३६॥ तीसे णं समाए एकवीसाए वाससहस्सेहिं काले विइकते अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव परिहायमाणीए २ एत्थणं दूसमदूसमाणाणं समा काले पडिवजिस्सइ समणाउसो!, तीसेणं | ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
५. सागरजी म. संशोधित ||
For Private And Personal Use Only