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सुसमा णामं समाकाले पडिजिंसुसमणाउसो!, जंबुद्दीवेणं भंते! दीवे इभीसे ओसप्पिणीए सुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भहस्स वासस्स के रिसए आयारभावपडोयारे होत्था?, गो०! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा तं चेव जं सुसमसुसमाए पुव्ववणिअंणवणाणत्तं चउणुसहस्सभूसिआएगे अठ्ठावीसे पिट्ठकरंडकसए छट्ठभत्तस्स आहाटे चउसट्टिराइंदिआई सारक्खंति दो पलिओवमाइं आऊ सेसंतंचेव, तीसे णं समाए चव्विहा मणुस्सा अणुसज्जित्था तं० -एका परजंघा कुसुमा सुसमणा ॥२७॥ तीसे णं समाए तीहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले वीइकते अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जावअणंतगुण परिहाणीए परिहायमाणे एत्थ णं सुसमदुस्समाणाणं सभाकाले पडिवजिंसु सभणाउसो!, साणं समा तिहा विभज्जइ तं०-पढमे तिभाए मज्झिमे तिभाए पच्छिमे| तिभाए, जंबुद्दीवेणं भंते! दीवे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमदुस्समाए समाए पढममझिमेसु तिभाएसु भरहस्स वासस्स के रिसए आयारभावपडोआरे पुच्छा, गो०! बहुसमरमणिजे भूमिभागे होत्था सो चेव गमोणेअव्वोणाणत्तं दोधणुसहस्साई उड्ढुउच्चत्तेणं, तेसिं| चमणुआणं चउसद्धिपिढकरंडगा चउत्थभत्तस्स आहारट्टे समुप्पजइ ठिई पलिओवभ एगूणासीई राइंदिआई सारक्खंति संगोवेति जाव देवलोगपरिग्गहियाणंतेमणुअगणापं० समणाउसो!, तीसेणं भंते! समाए पच्छिमे तिभाए भहस्सवासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्था?, गो०! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव मणीहिं उक्सोभिए, तं०-कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव तीसे णं भंते! समाए पच्छिमे तिभागे भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे होत्था?, गो०! तेसिं | ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥
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| पू. सागरजी म. संशोधित
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