________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सीसपहेलिअंगसयसहस्साई सा एगा सीसपहेलिया एतावताव गणिए एतावताव गणिअस्स विसए तेणं परं ओवभिए ॥१८॥से किं ता ओवभिए?,२ दुविहे पं००-पलिओवमे असागरोवमे असे किं तं पलिओवमे?, पलिओवमस्स परूवणं करिस्सामि, परमाणू दुविहे पं०० सुहमे अवावहारिए अ, अणंताणं सुहमपरमाणुपुग्गलाणं समुदयसभिइसमागमेणं वावहारिए परमाणू णिज्जइ, तत्थ णो सत्थं कमइ सत्थेणं सुतिक्खेणवि छेत्तुं भित्तुं च ज किर ण सक्का। तं परमाणु सिद्धा व्यंति आई पमाणाणं॥ ७॥ अणंताणं वावहारिअपरमाणूणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसहिआइ वा सण्हसहिआइ वा उद्धरेणूइ वा तसरेणूइ वा रहरेणूइ वा वालग्गेइ वा लिक्खाइ वा जूआइ वा जवमझेइ वा उस्सेहंगुलेइ वा, अट्ठ उस्सहसण्हिाआओ सा एगा सहसण्हिया अट्ठ सहसण्हिआओ सा एगा उद्धरेणू अट्ठ अद्धरेणूओ सा एगा तसरेणू अह तसरेणूओ सा एगा रहरेणू अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरूत्तरकुराणं मणुस्साणं वालग्गे अह देवकुरूत्तरकुराणमणुस्साण वालग्गा से एगेहरिवासरभ्मयवासाणमणुस्साणं वालग्गे एवं हेमवयहेरण्णवयाणमणुस्साणं पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं अट्ठ पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा अट्ट लिक्खाओ सा एगा जूआ अट्ठ जूआओ से एगे जवमझे अट्ठ जवमझा से एगे अंगुले एतेणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाई पाओ बारस अंगुलाई वितत्थी चवीसं अंगुलाई रयणी अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी छण्णउई अंगुलाई से एगे अक्खेइ वा दंडेइ वा धणूइ वा जुगेइ वा मुसलेइ वाणालिआइ वा एतेणं घणुप्पमाणेणं दो घणुसहस्साई गाउअंचत्तारि गाउआई जोअणं एएणं जोअणप्पमाणेणंजे पल्ले जोअणं आयामविक्खंभेणं || श्री जंबूद्वीप प्रजस्ति सूत्र।
पू.सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only