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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उत्तरापोटुवया, धणिट्ठा चोइस अहोरत्ते णेति, सयभिसया सत्त अहोरत्ते णेति, पुव्वाभद्दवया अट्ठ अहोरत्ते णेइ, उत्तरापोडवता एगं अहोरत्तं णेति, तंसि णं मासंसि अड़ंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियदृति, तस्स णं मासस्स चरमे दिवसे दो पादाई अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवति, ता वासाणं ततियं मासं कति णक्खत्ता णेंति?, ता तिण्णि णक्खत्ता णिंति, तं० - उत्तरापोट्टवता रेवती अस्सिणी, उत्तरापोट्ठवता चोद्दस अहोरत्ते णेति रेवती पण्णरस० अस्सिणी एगं अहो०, तंसिं च णं मासंसि दुवालसंगुलपोरिसीछायाए सूरिए अणुपरियइति, तस्स णं मासस्स चरिमदिवसे लेहत्थाई तिण्णि पदाई पोरिसी भवति, ता वासाणं चउत्थं मासं कति णक्खता र्णेति ?, ता तिन्नि नक्खत्ता णेंति, तं०-अस्सिणी भरणी कत्तिया, अस्सिणी चउद्दस अहो० भरणी पत्ररस अहो० कत्तिया एगं अहो०, तंसिं च णं मासंसि सोलसंगुलपोरिसीछायाए सूरिए अणुपरियट्टा, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिन्नि पयाई चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ, ता हेमंताणं पढमं मासं कइ णक्खत्ता णेंति?, ता तिण्णि णक्खत्ता णेंति, तं०- कत्तिया रोहिणी संगणा, कत्तिया चोइस अहो० रोहिणी पन्नरस अहो० संगणा एगं अहो०, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिण्णि पदाई अट्ठ अंगुलाई पोरिसी भवति, ता हेमंताणं दोच्चं मासं कति णक्खत्ता ऐति?, चत्तारि णक्खत्ता णेंति, तं० संठगणा अद्या पुणव्वसू पुस्सो, संगणा चोइस अहोरत्ते णेति अद्दा सत्त अहो० पुणव्वसू अट्ठ अहो० पुस्से एगं अहोरतं णेति, तंसि च णं मासंसि चडवीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियदृति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाणि ॥ श्री सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥ ५६ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021018
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages133
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_suryapragnapti
File Size13 MB
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