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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir य अट्ठविहबंधगा य् अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य छविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य छविहबंधगा य, णेरइया णं भंते! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्म बंधति?, गो०! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य तिण्णि भंगा, एवं जाव थणियकुमारा, पुढवीकाइया णं पुच्छा, गो०! सत्तविहबंधगावि अट्ठविहबंधगावि एवं जाव वणप्फइकाइया, विगलाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण य तियभंगो सव्वेवि ताव होज सत्तविह० गा अहवा सत्तविह० गाय अट्ठविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अढविहबंधगा य, मणूसा णं भंते! णाणावरणिजस्स पुच्छा, गो०! सव्वेवि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अढवि० गा य अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य छविह० गाय अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगे य छव्विहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छव्विहबंधगा य अहवा सत्तवि० गाय अढवि० गाय छविहबंधगेय अहवा सत्तविहबंधगाय अवि० गाय छव्विहबंधगाय एवं एते नव भंगा, सेसा वाणमंतरादिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया सत्तविहादिबंधगा भणिता तहा भाणितव्वा, एवं जहाणाणावरणं बंधमाणा जहिं भणिता सणावरणंपि बंधमाणा तहिं जीवादीया एगत्तपोहत्तेहिं भाणितव्वा, वेयणिजं बंधमाणे जीवे कति?, गो०! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा, एवं मणूसेवि, सेसा नारगादीया सत्तवि० गा अद्वविहबंधगा जाव वेमाणिते, जीवा णं भंते! ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ ३०५ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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