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जाव वेमाणिए, एवमेव चवीसं २ दंडगा भवन्तिो२५६। नेइया णं भंते! किं अणंतरागया अंतकिरियं रेंति परंपरागया अंतकिरियं करेंति?, गो०! अणंतरागयावि परंपरागयावि अंतकिरियं करेंति, एवं रयणप्यमा० जाव पंकप्प भा० नेरइया, धूमप्पभा० नेरइयाणं पुच्छा० गो०! णो अणंतरागया, परंपरागया अंतकिरियं परेंति, एवं जाव अहेसत्तमा, असुरकुमारा जाव थणियकुमारा पुढवीआउवणस्सइकाइया य अणन्तरगयावि परंपरागयावि अंतकिरियं पकरेंति, तेउवाउबेइंदियतेइंदियचरिदिया णो अणंतरागया परंपरागया अंतकिरियं पकरेंति, सेसा अणंतरागयावि परागयावि अंतकिरियं परेंति।२५७) अणंतरागया नेरइया एगसमये केवइया अंतकिरियं पकरेंति?, गो०! जह० एगो वा दो वा तित्रि वा उक्को० दस, रयणप्पभापुढवीनेरइयावि एवं चेव जाववालुयप्पभा०, अणंत० भंते! पंकपभापुढवी० एगसमएणं केवतिया अंत० पकरेंति?, गो० जह० एको वा दो वा तित्रि वा उक्को० चत्तारि, अणन्तरागया णं भंते! असुरकुमारा एगसमये केवतिआ अंत० पकरेंति?, गो०! जह० एक्को वा दो वा तित्र वा उदो० दस, अणंत० णं भंते! असुरकुमारीओ एगस० केव० अंत० परेंति? गो०! जह एक्को वा दो वा तिन्न वा उक्को० ||पंच, एवं जहा असुरकुमारा सदेवीया तहा जाव थणिअ०, अणंतरागया णं भंते! पुढवी० एगस० केवइया अंतकिरियं परेंति?. गो०! जह० एको वा दो वा तित्रि वा उक्को० चत्तारि, एवं आउक्काइयावि चत्तारि वणस्सइकाइया छच्च् पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दस मणुस्सा दस मणूसीओ वीस वाणमंतरा दस वाणमंतरीओ पंच जोइसिआ दस जोइसिणीओ वीसं वेमाणिआ अट्ठसयं ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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