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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org | नेरइए कण्हलेस नेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणइ केवइयं खेत्तं पासइ ?, गो० ! णो बहुयं खेत्तं जाणइ णो बहुयं खेत्तं पासइ णो दूरं खेत्तं जाणइ णो दूरं, खेत्तं पासइ इत्तरियमेव खित्तं जाणइ इत्तरियमेव खेत्तं पासइ, से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ कण्हलेसे णं नेरइए तं चेव जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ ?. गो० ! से जहानामए केइ | पुरिसे बहुसमरमणिज्जंसि भूमिभागंसि ठिच्चा सव्वओ समंता समलोएज्जा, तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरसिं पणिहाए सव्वओ समंता समभिलोएमाणे णो बहुयं खेत्तं जाव पासड़ जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ कण्हलेसे णं नेरइए जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ, नीललेसे णं भंते! नेरइए कण्हलेसं नेरइयं पणिहाय ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणइ के वतियं खेत्तं पासइ ?, गो० ! बहुतरागं खेत्तं जाणइ० पासइ दूरतरखेत्तं जाणइ० पासइ वितिभिरतरागं खेत्तं जाणइ० पासइ विसुद्धतरागं खेत्तं जाणइ० पासड़, से केणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ नीललेसे नेरइए कण्हलेसं नेरइयं पणिहाय जाव | विसुद्धतरागं खेत्तं जाणइ० पासइ ?, गो० ! से जहानामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ पव्वयं दुरूहित्ता सव्वओ समंता समभिलोएज्जा तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाय सव्वओ समंता समभिलोएमाणे बहुतरागं खेत्तं जाणइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासह, से तेणट्टेणं गो० ! एवं वुच्चइ नीललेस्से नेरइए कण्हुलेसं जाव विसुद्धतंरागं खेत्तं पासइ, काउलेस्से णं भंते! नेरइए नीललेस्सं नेरइयं पणिहाय ओहिणा सव्वओ समंता समभिलोएमाणे केवतियंखेत्तं जाणइ० पासइ ?, गो० बहुतरागं ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित २२९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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