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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बद्धेल्लगा?, णस्थि, केवइया पुरेक्खडा?, णस्थि, एवं जाव जोइसियत्तेवि, णवरं मणूसत्ते अतीता अणंता, केवइया बद्धेल्लगा?, णत्थि, पुरेक्खडा असंखिज्जा, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते सहाणे अतीता असंखेजा, केवइया बद्धेल्लगा? असंखिज्जा, केवइया पुरेक्खडा?, असंखेजा, सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते अतीता नस्थि बद्धलगा नत्थि, पुरेक्खडा असंखेजा, सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं भंते! नेरइयत्ते केवतिया दव्विंदिया अतीता?, गो०! अणंता, केवतिया बद्धलगा?, नस्थि, केवतिया पुरेक्खडा?, णत्थि, एवं मणूसवजं जाव गेवेजगदेवत्ते, मणूसत्ते अतीता अणंता, बद्धलगा नस्थि, पुरेक्खडा संखेजा, विजयवेजयंतजयंतअपराजितदेवत्ते केवड्या दव्विंदिया अतीता?, संखेजा, केवइया बद्ध०, णत्थि, केवइया पुरेक्खडा?, णत्थि, सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं भंते! सव्वट्ठसिद्धगगदेवत्ते केवइया दविदिया अतीता?, णस्थि, केवइया बद्धे०?, संखिजा, केवइया पुरेक्खडा?, णत्थिा दारं। कति णं भंते! भाविंदिया पं०?, गो०! पंच भाविंदिया पं० २०- सोतिदिए जाव फासिदिए, नेरझ्याणं भंते! कति भाविंदिया पं०?, गो०! पंच भाविंदिया पं० तं० सोतिंदिते जाव फासिंदिते, एवं जस्स जइ इंदिया तस्स तइ भणितव्वा, जाव वेभाणियाणं, एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स केवइया भाविंदिया अतीता?, गो०! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा?, पंच केवइया पुरेक्खडा?, पंच वा दस वा एक्कारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा, एवं असुरकुमारस्सवि नवरं पुरेक्खडा पंच वा छ वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा, एवं जावणियकुमारस्सवि, एवं पुढवीकाइयआउकाइयवणस्सइकाइयस्सवि बेइंदियतेइंदियचउरिदियस्सवि, तेउकाइयवाउकाइयस्सवि ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ | २०३ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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