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वेमाणियाणं १२००। कतिविहा णं भंते! इंदिया पं०?, गो०! दुविहा पं० २० दव्विंदिया य भाविंदिया, कति णं भंते! दव्विंदिया || |पं०?, गो० अट्ठ दव्विंदिया पं० २०-दो सोत्ता दो नेत्ता दो घाणा जीहा फासे, नेरझ्याणं भंते! कति दव्विंदिया पं०?, गो०!
अट्ठ एते चेव, एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणवि, पुढवीकाइयाणं भंते! कति दव्विंदिया पं०?, गो०! एगे फासिदिए |पं०, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, बेइंदियाणं भंते! कति दबिदिया पं०?, गो०! दो दव्विंदिया पं० २०- फासिदिए य जिब्भिदिए य, तेइंदियाणं पुच्छा, गो०! चत्तारि दव्विंदिया पं० ०-दो घाणा जीहा फासे, चरिदियाणं पुच्छ।, गो०! छ दव्विंदिया पं० तं. दो णेत्ता दो धाणा जीहा फासे, सेसाणं जहा नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, एगभेगस्स णं भंते! नेरझ्यस्स केवइया दव्विंदिया अतीता?, गो०! अणता, केवइया बद्धेल्ला? गो०! अह, केवइया पुरेक्खडा?, गो०! अट्ठ वा सोल वा सत्तरस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एगमेगस्स णं भंते! असुरकुमारस्स केवइया दचिदिया अतीता?, गो०! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा?, अट्ठ, केवइया पुरेक्खडा?, अट्ट वा नव वा सत्तरस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं जाव थणियकुमाराणं ताव भाणियव्वं, एवं पुढवीकाइया आउकाइया वणस्सइकाइयावि, नवरं केवइया बद्धेल्लगत्ति पुच्छाए उत्तरं एके फासिंदियदव्विंदिए, एवं तेउकाइयवाउकाइयस्सवि नवरं पुरेक्खडा नव वा दस वा, एवं बेइंदियाणवि, णवरं बद्धे० पुच्छाए दोण्णि, एवं तेइंदियस्सवि णवरं बद्धलगा चत्तारि, एवं चरिदियस्सवि नवरं बद्धेल्लगा छ पंचिदियतिरिक्खजोणिया मणूसा वाणमंतरा जोइसिया || श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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